श्रीगंगानगर
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया…। काेराेना महामारी ने अब अधिकतर लाेगाें की यही स्थिति कर दी है। दूसरी लहर में भी ज्यादातर काम-धंधे बंद होने की वजह से लोग घरों में लॉक थे। जबकि बिजली, पानी बिल, कर्मचारियों के वेतन समेत बाकी बाकी खर्चे उतने ही थे।
नतीजा- बीते दो महीनों अप्रैल-मई में औसतन जहां 30 से 35 करोड़ रुपए लोगों ने बैंकों से निकाले, वहीं औसतन 20 से 25 करोड़ रुपए जमा हुए। जानकार बताते हैं, बीते दो माह में रोजमर्रा के साथ-साथ सबसे ज्यादा खर्चा मेडिकल क्षेत्र में हुआ। आय की बात करें तो सबसे ज्यादा किसानों की हुई, जिनके खातों में 1000 करोड़ रु. जमा हुए।
इन केस से समझें –कोरोना ने लोगों की कैसे कमर तोड़ी और अब परिवार-काम बचाने को ये प्रयास कर रहे
- केस 1 काेराेना इलाज के नाम पर 5.25 लाख रुपए खर्च हुए
अग्रसेन निवासी रामकुमार बताते हैं कि उनके पिता कृष्ण कुमार काे काेराेना हाे गया था। गंभीर हाेने पर यहां के डाॅक्टराें ने रेफर करने के लिए कहा। इसके बाद पिताजी काे दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर गया। यहां 10 दिन तक इलाज चला। इलाज के लिए जैसे-तैसे करके 5.25 लाख रुपए इकट्ठे किए। अब हालात यह हैं कि खुद की जमा पूंजी सारी खर्च हाे चुकी है।
केस 2 दुकाने बंद, लेकिन किराया चुकाने के लिए एफडी तुड़वाई
एच ब्लॉक में दुकान संचालक मनोज वर्मा ने बताया कि पिछले कोरोनाकाल में जैसे-तैसे बंद दुकानों का किराया दिया। लॉकडाउन खुलने पर भी बाजार मंदा रहा। दूसरी लहर में अब फिर लॉकडाउन लगा तो दुकान किराया व बिजली-पानी के खर्चे चुकाने के लिए बैंक से एफडी तुड़वाकर सारा किराया अदा किया। बाजार अब भी मंदा है। ऐसे में घर खर्च चलाने भी मुश्किल हो रहा है। बच्ची के नाम दो एफडी थी, दोनों ही तुड़वाई है।
- केस 3 मकान किराया, दूध-राशन का बिल देने को जमा पूंजी निकाली
पुरानी आबादी में किराए के मकान में रहने वाले गुलशन कुमार ने बताया कि मैं एक पैलेस मे मैनेजर हूं। कोरोना के कारण शादियां बंद है। ऐसे में अभी वेतन भी नहीं मिल रहा। पिछला सीजन भी इसी मारामारी में चला गया था। ऐसे में मकान का किराया, दूध, राशन आदि लाना भी मुश्किल हो गया है। नतीजा, जो पूंजी जमा की थी। अब वही बैंक से निकलवाकर अपना घर खर्च चला रहे हैं। सरकार को राहत देनी चाहिए।
- केस 4 रुपए खत्म, अब कोई काम बदल रहा तो किसी ने लिया ऋण
कृष्णा चौक निवासी अनितादेवी अपने बच्चों के साथ किराए की दो दुकानों में रेस्टोरेंट चलाती है। कोरोनाकाल में सब बंद रहा, लेकिन किराया व बिजली बिल पूरा देना पड़ा। अब ज्यादा किराए से बचने के लिए उसने छोटी दुकान में ढाबा शुरू किया है, ताकि खर्चों को कम किया ज सके। इसी तरह अरुण ने अपनी दुकान व खर्चों को चलाने के लिए बैंक से ऋण मांगा है। अरुण बताते हैं, कोरोना में खर्चे तो बढ़े हैं, आय घटी है।
2 साल में बैंकाें में कितने रुपए जमा
- साल प्रदेशभर श्रीगंगानगर
- 2019-2020 4.34 लाख कराेड़ 11272 कराेड़
- 2020-2021 4.97 लाख कराेड़ 13196 कराेड़
आंकड़े आरबीआई व विभिन्न बैंकों के अनुसार
कोरोना संकट के बीच लोग अब डिजिटल लेनदेन ज्यादा कर रहे हैं। मकसद यही है कि लोग कोरोना से बचे रहें। यह सही है कि ऐसे समय में लोगों का खर्चा बढ़ा है और बैंकों से निकासी भी बढ़ी है। इसलिए हमारे प्रयास रहे कि बैंक लोगों को अधिक सुविधा दें, ताकि उन्हें अपने रुपए निकालने में कोई परेशानी न आए। सतीश जैन, एलडीएम, श्रीगंगानगर
