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आंगन में पेड़ नहीं, झूले भी गायब, रील में कैद हो रही तीज

भादरा (सीमा सन्देश)। भादरा नगर सहित उपखंड के अनेकों गांवो में हरियाली तीज महोत्सव के मौके पर सजधज कर पहुंची महिलाओं ने सामुहिक गीत गाए। महिलाओं ने खेल कर उत्साह प्रकट किया। बदलते दौर में हरियाली तीज मनाने के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। आंगन, गांव और गली से पेड़ गायब हैं। सोशल मीडिया पर रील बनाकर त्योहार को सेलिब्रेट किया जा रहा है। स्मार्ट फोन ने नव विवाहिताओं के उमंग, उल्लास और सजने संवरने के अंदाज को बदल दिया है, एक दूसरे को त्योहार की बधाई दी। अनेकों विद्यालय, महाविद्यालय व शिक्षण सस्थाओ में हरियाली तीज मनाई गई। इस पर्व को लेकर गत दिनों से दिन ही महिलाएं तैयारी में लग गई थीं। उन्होंने हाथों में मेहंदी लगाई और त्योहार के दिन के लिए आभूषण और लहंगा साड़ी व सूट भी पहन कर तीज मनाई। आधुनिकता की चकाचौंध में तीज का त्योहार फीका पड़ता जा रहा है। लोगों न अब अपना व्यवहार बदल लिया है। अब न तो पेड़ों पर झूला नजर आता है और न ही महिलाओं का समूह सावन के गीत गाता है। हर वर्ग के हाथों में मोबाइल नजर आ रहा है। बुजुर्ग यह देखकर चिंतित नजर आ रहे है। उनका कहना है कि हमें अपनी विरासत बचाने के लिए पुरातन चलते आ रहे सभ्याचार मेलों व त्योहारों को पहले की ही भांति हंसी खुशी से मनाना फिर से शुरू करना होगा। पहले के समय में पहले सावन में नई नवेली दुल्हन अपने मायके में रहती थी, लेकिन अब ये प्रचलन भी बदल गया है। महिलाओं ने बताया कि शहर क्या अब गांव में भी झूले नहीं डलते। ग्रामीण महिलाएं न तो झूले पर झूलती नजर आती हैं और न ही गीत गुनगुनाती नजर आती है। इससे पहले सावन आते ही गांव में खूब रौनक आ जाती थी। गांव के पेड़ों में और घरों में झूले डल जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता।