Wednesday, October 29निर्मीक - निष्पक्ष - विश्वसनीय
आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी का संदेश लेकर यात्रा पर निकले लालजी राजस्थानी
by seemasandesh
बोले, हर जगह राजस्थानी में ही लिखकर खुद दें मान्यता हनुमानगढ़ (सीमा सन्देश न्यूज)। श्रीडूंगरगढ़ तहसील के रीड़ी गांव में जाखड़ जाति के कुल देवता वीर बिग्गाजी की धाम है। वीर बिग्गाजी की मायड़ भाषा राजस्थानी ही है। इसी गांव के लालचंद जाखड़ पुत्र भंवरलाल जाखड़ राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए साइकिल यात्रा पर निकले हैं। लालजी राजस्थानी कहते हैं कि करणी माता, वीर बिग्गाजी, जांभोजी, तेजाजी, महाराणा प्रताप, रामदेवजी गोगाजी, देवनारायण जी जैसे महापुरुषों की भाषा राजस्थानी को अभी तक मान्यता नहीं देना राज्य और केन्द्र सरकार की हठधर्मिता है। राजस्थान की नौकरी दूसरे प्रदेश वाले अभ्यर्थी खा रहे हैं जबकि राजस्थान के बेरोजगार दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान के तहत पूरे राजस्थान में साइकिल पर घूम कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि राजस्थानी को केवल बोलने तक सीमित न रखें बल्कि व्यवहार की भाषा बनाकर हर काम राजस्थानी में करें। दुकानों के बैनर पोस्टर, विवाह, जागरण के कार्ड से लेकर सोशल मीडिया पर हर जगह राजस्थानी ही लिखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हनुमानगढ़ जिले में राजस्थानी भाषा को व्यवहार की भाषा बनाकर मान्यता देने वाले मॉडल गांव बहलोलनगर में हर काम राजस्थानी भाषा में ही होता है। राजस्थानी भीरी हरीश हैरी ने जैसे बहलोलनगर को राजस्थानी के रंग में रंगा है वैसे हमें भी अपने-अपने गांव को राजस्थानी गांव बनाना है। जन जागरण से ही आंदोलन होगा। बिना आंदोलन मान्यता कभी नहीं मिलेगी। राजस्थानी को मान्यता मिलने से खासकर युवाओं को नौकरियों में बहुत बड़ा फायदा होगा। हमारी भाषा, संस्कृति का भी संवर्द्धन होगा। राजस्थानी भाषा आंदोलन में युवाओं को आगे आकर कमान अपने हाथ में लेनी होगी। वे इस यात्रा में जहां भी गए हैं उन्हें लोगों का भरपूर प्यार मिला है और जन भावना भी है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिले।