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किसान ने किया चमत्कार! रेगिस्तान में उगाए महोगनी के पेड़, खूब कमा रहा मुनाफा

नई दिल्ली। हम भारतीय जब भी रेगिस्तान के बारे में सोचते हैं, तो सिर्फ रेत का ही ख्याल आता है. इस रेगिस्तान में अगर कोई पेड़ या पौधे उगाना चाहे तो इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. इसी के चलते यहां आसानी से पेड़-पौधे का नामोनिशान नजर नहीं आता, लेकिन राजस्थान के रेतीले इलाकों में एक किसान ने महोगनी पेड़ों को सफलता पूर्वक लगाया और आज वह इससे लाखों में कमाई कर रहे हैं.
राजस्थान का पश्चिमी इलाका, जो रेतीले छोर से घिरा हुआ है. यहां हरियाली केवल बरसात में ही देखने को मिलती है. ऐसे में यहां नागौर जिले के टांकला गांव के रहने वाले किसान लिखमाराम मेघवाल ने जैविक खेती शुरू की और महोगनी के पेड़ भी लगाएं. इसके लिए उन्होंने लगातार तब तक परिश्रम जारी रखा, जबतक इससे उन्हें आमदनी मिलनी शुरू नहीं हुई.
100 में से 90 पेड़ खराब हो गए लेकिन हार नहीं मानी
लिखमाराम मेघवाल बताते हैं कि वो कोरोना काल में घर पर बेरोजगार बैठे थे. इस दौरान वे ऐसी किसी खेती के बारे में सोच रहे थे, जिसे घर बैठे उगाया जा सके. इसके लिए उन्होंने यूट्यूब से जानकारी ली. यहां उन्हें महोगनी पेड़ के बारे में पता चला. अगले ही दिन वह बाजार से 100 महोगनी की पेड़ ले आए, लेकिन उसी रात उनके 90 पेड़ खराब हो गए. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बचे हुए 10 पेड़ों को लगाया. इनकी देखभाल के लिए उन्होंने रिसर्च और कृषि विशेषज्ञों से जानकारी इकट्ठा की.
लिखमाराम मेघवाल ने बताया कि इन पेड़ों को लगाए अब तीन साल हो चुके हैं. इसे पूर्ण रूप से बड़ा होने में 12 साल तक का समय लग जाता है. उन्होंने बताया कि ये पौधा उच्च तापमान को सहन कर सकता है और बारिश के समय ज्यादा पानी में भी इसे कोई नुकसान नहीं होता, बस पानी को पेड़ के आसपास जमा नहीं होने देना है.
लगाते समय इन बातों का रखें ख्याल
लिखमाराम मेघवाल ने बताया कि महोगनी को लगाने के बाद ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है. वक्त-वक्त पर इसकी जड़ों को देखते रहना चाहिए, क्योंकि इस पेड़ की जड़ों में ज्यादा दीमक लगने का खतरा रहता है. किसानों को इस पेड़ के लिए जैविक विधि का उपयोग करना चाहिए और देसी खाद और मीठे पानी का उपयोग करना चाहिए.
महोगनी को क्यों कहा जाता है पैसे वाला पेड़?
महोगनी पेड़ को पैसे वाला पेड़ भी कहा जाता है. इसके पीछे कहानी यह है कि जितने भी अच्छे हथियार बनाए जाते हैं, उनमें इसी पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा नाव, फर्नीचर, प्लाई वुड, सजावटी आइटम, मूर्तियों में इसी का उपयोग होता है. क्योंकि इसकी लकड़ी जल्दी खराब नहीं होती है. इस वजह से बाजार में इसकी खूब मांग रहती है. बाजार में इसकी कीमत 1500 रुपये से 2000 रुपये प्रति घन फुट है.