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घोटाले का खुलासा:जाेहड़ काे कच्चा दिखाया, फिर पक्का करने के नाम पर रुपए 14.33 लाख खर्चे, 4.83 लाख मनरेगा से उठाए

श्रीगंगानगर

श्रीविजयनगर पंचायत समिति में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हुआ है। वहां की ग्राम पंचायत चार बीएलडी के चक एक एनजेडएम में ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव, जेटीए, एईएन व जिला परिषद के अधिकारियाें ने पहले से बने जाेहड़ काे कच्चा दिखा वहां चार-चार फीट की दीवार बनाई और उस पर 14.33 लाख रुपए खर्च करना दिखा दिया।

रोचक यह रहा कि इसमें मनरेगा का भी जमकर दुरुपयोग किया गया। मजदूरों के उन्होंने मस्टररोल भरे और 4.83 लाख रुपए मनरेगा से उठा लिए। अब शेष राशि के लिए बिल ऑनलाइन किए गए, लेकिन पूर्व सरपंच द्वारा शिकायत करने के बाद यह पूरा घोटाला खुल गया। अब जिम्मेदार मामले काे दबाने में लगे हैं।

सरकारी खजाने से निकालने को 7.42 लाख के बिल ऑनलाइन चढ़ाए: इस काम में निर्माण सामग्री का खर्च दिखाकर 7 लाख 42 हजार के बिल हाल ही में अाॅनलाइन चढ़ाए गए। इन बिलाें काे कनिष्ठ तकनीकी सहायक व एईएन प्रहलादसिंह की ओर से अनुमाेदन भी कर दिया गया। लेकिन अब हुई शिकायत के बाद बीडीओ ने पूरे निर्माण की पत्रावली मांगी है।

पक्के जाेहड़ पर दीवार बना किया फर्जीवाड़ा: बिश्नोई

पूर्व सरपंच ओमप्रकाश बिश्नोई ने बताया कि मेरे कार्यकाल में ही जाेहड़ का पक्का निर्माण हुआ था। इसके बावजूद पुराने जाेहड़ पर चार फीट की दीवार निकाल फर्जीवाड़ा किया गया है। जाेहड़ निर्माण कार्य पर 14.33 लाख रुपए खर्च की प्लेट से पता चला कि यह ताे फर्जीवाड़ा है।

2008 में कच्चे जोहड़ का निर्माण शुरू, 2011 में 2.68 लाख रुपए खर्च किए

ग्राम पंचायत चार बीएलडी के चक एक एनजेडएम में वर्ष 2008-09 में तत्कालीन सरपंच बलकार सिंह रमाणा के कार्यकाल में कच्चे जाेहड़ का निर्माण कर पक्का बनाने का काम शुरू किया गया था। तब इस पर कितने रुपए खर्च हुए थे, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। फिर वर्ष 2011-12 में नए आए सरपंच ओमप्रकाश बिश्नाेई ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम याेजना में स्वीकृति जारी करवाकर जाेहड़ की शेष रही दीवाराें व अन्य कार्याें काे पक्का करने का काम पूरा करवाया। इस काम पर 2 लाख 68 हजार रुपए खर्च किए गए थे।

2020 में जोहड़ कच्चा बताया, अफसरों ने इसे सत्यापित कर 14.93 लाख मंजूर किए

फिर 2019 में पंचायत की ओर से जाेहड़ से गाद निकालने का काम भी पंचायत की ओर से करवाया गया। तब सरपंच प्रहलादसिंह, सचिव बलजिंद्र ने वर्ष 2020 में पंचायत समिति व जिला परिषद के अधिकारियाें से सांठगांठ कर इसी जाेहड़ काे कच्चा दिखाकर जेटीए से दस्तावेज तैयार करवाए। तत्कालीन एईएन व कार्यवाहक बीडीओ प्रहलादसिंह ने इन दस्तावेजाें काे सत्यापित किया। जिला परिषद से मनरेगा याेजना में आदर्श जाेहड़ निर्माण कार्य के नाम से नए जाेहड़ के निर्माण के लिए 14 लाख 93 हजार 188 रुपए की स्वीकृति जारी करवा ली।

फरवरी 21 में काम पूरा, 4 फीट की दीवार बनाई, खर्च दिखाया 14.33 लाख रुपए

जिला परिषद के अधिकारियाें ने भी बिना किसी जांच पड़ताल के जाेहड़ के निर्माण कार्य की स्वीकृति जारी कर दी। इसके बाद सरपंच, सचिव व कनिष्ठ लिपिक ने आनन-फानन में अक्टूबर 2020 में निर्माण कार्य शुरू करना दिखाकर 15 फरवरी 2021 काे काम पूरा होना दिखा दिया। काम में मजदूरी पेटे 4 लाख 83 हजार 620 रुपए सरकारी खजाने से निकाले गए। पूर्व सरपंच ने बताया कि माैके पर जाेहड़ की पुरानी दीवाराें पर चार फीट की दीवार निकालकर 14.33 लाख रुपए खर्च करना दिखाया गया है। अब पंचायत अधिकारी ही इस मामले काे दबाने में लगे हुए हैं।

इस पूरे फर्जीवाड़े के ये 3 किरदार; अब बोले- हमारा इससे लेना-देना नहीं

प्रहलादसिंह, सरपंच 4 बीएलडी

पुराना बना जाेहड़ गिर गया था। इसलिए नया बनाया है। पू्र्व में टूटे जाेहड़ की ईंटें माैके पर ही पड़ी हैं। आपके पास काेई शिकायत आई है ताे बताओ।

बलजिंद्र सिंह, तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव

पंचायत में मैं दाे-तीन माह ही रहा था। इसके बाद मेरा स्थानांतरण हाे गया। पंचायत का काम एलडीसी ही देखता था, दस्तावेजाें पर हस्ताक्षर भी उन्हीं ने ही किए हाेंगे।

प्रहलादसिंह, एईएन व तत्कालीन बीडीओ

नए जाेहड़ के दस्तावेज जेटीए ने ही तैयार किए हैं। मेरा इसमें काेई लेना-देना नहीं है। बीडीओ के आदेश पर गत दिनाें में माैके पर निर्माण देखकर आया था।

शर्मिला छल्लाणी, विकास अधिकारी, पंचायत समिति श्रीविजयनगर

इस मामले में ग्रामीणाें ने फाेन पर पुराने जाेहड़ काे कच्चा दिखाकर नया निर्माण दिखाने की शिकायत की है। मैंने इस संबंध में पंचायत से पत्रावलियां मांगी हैं। पुरानी पत्रावली मिल चुकी है। नए काम की पत्रावली मांगी गई है। मामले की गहनता से जांच कर दाेषियाें के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सुखमंदर सिंह, एक्सईएन, जिला परिषद श्रीगंगानगर

पुराने निर्मित जाेहड़ पर नई दीवार निकालकर यदि नया निर्माण दिखाया है ताे मामला गंभीर है। एेसा है ताे इसकी रिपाेर्ट लेकर दाेषियाें के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। तकनीकी अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

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