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जानिए कहां है L1, जहां ISRO ने Aditya स्पेसक्राफ्ट को भेजा

नई दिल्ली. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO ने अपने पहले सौर मिशन Aditya L1 को आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे लांच कर दिया। अब इसरो का आदित्य स्‍पेसक्राफ्ट L1 बिंदु तक की सफर तय करेगा। आदित्य L-1 मिशन से इसरो को काफी उम्मीदें हैं। इससे सूर्य की गतिविधियों पर व्यापक जानकारी हासिल की जा सकेगी। ऐसे में सवाल उठता है की L1 पॉइंट है क्‍या और इसरो ने इस पॉइंट को ही क्यों चुना?

L1 क्या है?

लैग्रेंज पॉइंट्स (Lagrange Points) ऐसे संतुलन बिंदु को कहा जाता है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वीय बल समान होता है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है और इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं। जिसे L1,L2,L3,L4 और L5 पॉइंट से जाना जाता है। L नाम 18वीं सदी के खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। आदित्य स्पेसक्राफ्ट को लैग्रेंज पॉइंट1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा यहां से आदित्य सूर्य को बिना किसी रुकावट या ग्रहण के लगातार देख सकेगा, क्योंकि इस स्थान पर ग्रहण का कोई असर नहीं होता।

L1 पॉइंट को चुनने की वजह

जब पृथ्वी और सूरज के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं तो L1 को ही क्यों चुना गया ऐसा सवाल आपके मन में आ सकता है। तो आपको बता दें कि L1 एक ऐसा पॉइंट है, जिस जगह से सूरज का चौबीसों घंटे अवलोकन किया जा सकता है। ये वो जगह है जहां पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के बीच एक संतुलन बन जाता है। इस संतुलन होने से एक अपकेन्द्रीय बल (Centrifugal Force) बन जाता है और इस फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्राफ्ट एक जगह बिना हिले-डुले स्थिर रह सकता है।

यहां पहुंचने में आदित्य को करीब 4 महीना लग जाएगा। इसके अलावा एक बात और है कि यहां दिन और रात की साइकिल प्रभावित नहीं करती। इस जगह से सूर्य सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है। वहीं ये बिंदु पृथ्वी के भी नजदीक है जिस वजह से यहां से संचार में काफी आसानी होती है। इस कारण ISRO द्वारा चुना गया ये स्‍थान अध्ययन के लिहाज से अनुकूल माना जाता है।

Aditya-L1 मिशन का मकसद

यह मिशन भारत के बहुत महत्वपूर्ण है। भारत को इस मिशन से बहुत उम्मीदें हैं। इस मिशन के मुख्य उद्देश्य की बाते करें तो आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं का अध्ययन करेगा। सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा। सौर हवाओं के विभाजन और तापमान का अध्ययन करेगा। सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है, इसका अध्ययन करेगा। ISRO की रिपोर्ट के मुताबिक, आदित्य L1 मिशन का कुल बजट करीब 378 करोड़ रुपए है।