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दिहाड़ी मजदूरी से मणिहारी व लोहे के बर्तनों की दुकान चलाने तक का सफर

हनुमानगढ़ (सीमा सन्देश)। ये कहानी है हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील की ग्राम पंचायत छानीबड़ी की किस्तुरी देवी की । किस्तुरी देवी की शादी एक मजदूर किसान से हुई। भूमिहीन होने के कारण पति-पत्नी दोनों, दूसरों के खेतों पर मजदूरी करके जीवन यापन करते थे। दोनों में काम करने के प्रति लगन और मेहनत में कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। मजदूरी करके दो वक्त की रोटी का ही जुगाड़ कर पाते थे। राजीविका की डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर साजिÞया तब्बसुम बताती हैं कि वर्ष 2017 में राजीविका की ओर से सीआरपी राउण्ड चलाया गया जिसमें किस्तुरी देवी रामदेव बाबा राजीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनी। कुछ समय बाद उनके समूह का खाता खुलवाया गया और तीन महीने बाद परियोजना द्वारा 15000 रुपए उनके समूह के खाते में आये। इसमें से 3000 रुपए की आर्थिक सहायता से किस्तुरी देवी ने मणिहारी की एक छोटी सी दुकान की। फिर वर्ष 2019 में कुछ पैसे और जुटाकर लोहे के बर्तन का कार्य प्रारम्भ किया। इसी दौरान कुछ समय बाद उन्हे राजीविका द्वारा सरस मेले में प्रतिभागी बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ। ये अवसर प्राप्त होने के बाद उन्होने अपना 40000 रुपए का कर्ज भी चुका दिया। वर्तमान में किस्तुरी देवी मणिहारी की दुकान के साथ-साथ लोहे के बर्तनों की दुकान भी चला रही है। हनुमानगढ़ जिले से उनका चयन सीआरपी राउण्ड में किया गया। समूह बनाने के लिए अब वो अपने परिवार के साथ तहे दिल से राजीविका का शुक्रिया अदा करती हैं और दूसरे जरूररमंद परिवारों की महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूह से जुड़ने को प्रेरित करती है।

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