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फर्जी वोटिंग रोकने के लिए बड़ी पहल:आधार नंबर को वोटर कार्ड और मतदाता सूची से जोड़ने की तैयारी, विधानसभा चुनावों के बाद केंद्र इस पर फैसला ले सकता है

नई दिल्ली

केंद्र सरकार आधार कार्ड को वोटर लिस्ट और मतदाता ID कार्ड से जोड़ने की तैयारी कर रही है। इससे फर्जी वोटिंग को रोकने और एक से अधिक जगहों पर किसी व्यक्ति के नाम जैसी गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद सरकार इस पर फैसला ले सकती है।

अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि सरकार ऐसा करने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के साथ आधार एक्ट में संशोधन करना होगा। साथ ही डेटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क की भी जरूरत होगी।

इस सिस्टम के लिए बड़े पैमाने पर होगा ट्रायल
जानकारों का कहना है कि वोटिंग लिस्ट को आधार इकोसिस्टम से डायरेक्ट नहीं जोड़ा जाएगा, बल्कि इसके वेरिफिकेशन के लिए OTP सिस्टम का इस्तेमाल होगा। इससे दोनों डाटा मैच नहीं करेंगे और न ही कोई वोटर सिस्टम को टैप या इंटरसेप्ट कर पाएगा। इस सिस्टम के बड़े पैमाने पर ट्रायल किए जाएंगे और डेटा सिक्योरिटी के सभी पहलुओं को पूरा करने के बाद लिंकिंग होगी।

सरकार इस मामले पर विचार कर रही
संसद के मानसून सेशन के दौरान कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को सुरक्षित और सही बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे इस दिशा में काफी मदद मिली है।

चुनाव आयोग की लंबे वक्त से यह मांग
चुनाव आयोग लंबे वक्त से केंद्र सरकार से कानून में बदलाव की मांग कर रहा है। आयोग का कहना है कि जो भी नया व्यक्ति वोटर ID कार्ड के लिए आवेदन करे, उसके लिए आधार की जानकारी देना जरूरी कर दिया जाए। 2015 में चुनाव आयोग बड़ी संख्या में वोटर ID को आधार से लिंक कर चुका था, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद इसे रोक दिया गया।

आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दरअसल, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 12 अंकों की ID का उपयोग केवल सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने और दूसरी सुविधाओं के लिए होगा, इसके लिए आधार नंबर पूछने की जरूरत नहीं होगी।

सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया
SC ने कहा कि अगर सरकार वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ना चाहती है तो उसे इसके लिए कानूनी मदद लेनी होगी। 2019 के अपने फैसले में कोर्ट ने प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट बताया और सरकार से डेटा सिक्योरिटी के लिए कानून बनाने को कहा। सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है, जिस पर संसदीय समिति विचार कर रही है।

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