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बाजारों में रौनक बढ़ी, निर्जला एकादशी की चल रही खरीदारी

बीकानेर. दान-पुण्य का पर्व निर्जला एकादशी 21 जून को मनाया जाएगा। घर-घर में निर्जला एकादशी की तैयारियां चल रही है। बाजारों में निर्जला एकादशी को लेकर विशेष रौनक बनी हुई है। चीनी से बने ओळा, सेवईयां, शर्बत और मटकी की विशेष रूप से खरीदारी हो रही है। इन वस्तुओं की दुकानों पर सुबह से शाम तक खरीदारों की भीड़ लगी रहती है। शहर के विभिन्न बाजारों में ओळा, सेवईयां, शर्बत, पानी की मटकी आदि की दुकानें सज चुकी है। निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालु लोग इन वस्तुओं का विशेष रूप से दान करेंगे।

निर्जला एकादशी को लेकर आलू , केला और साबुदाना से बने विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ पहुंच रही है। निर्जला एकादशी के लिए सिंघाडा आटा, राजगीरा आटा आदि की भी खरीदारी हो रही है। आम-ओळा के दान के विशेष महत्व के कारण शहर के मुख्य बाजारों सहित गली, मोहल्लों और ठेले गाड़ों पर बड़ी मात्रा में आम की बिक्री हो रही है।

मटकी, आम व पंखी का दान
निर्जला एकादशी पर पीने के पानी की मटकी का विशेष रूप से दान किया जाता है। मटकी में एक आम, ओळा, सेवईयां, चीनी, नकद राशि और हवा के लिए पंखी डालकर दान किया जाता है। श्रद्धालु लोग मंदिरों सहित कुलगुरु, बहन, बेटियों, जरुरतमंदों को मटकी का दान करते है। वहीं पशु, पक्षियों के लिए भी निर्जला एकादशी पर शीतल जल की व्यवस्था की जाती है।

फळियार में भेज रहे मिठाईयां, आम व ओळा
शहर में निर्जला एकादशी पर बहन-बेटियों के ससुराल फळियार भेजने की परम्परा है। निर्जला एकादशी के नजदीक आते ही फळियार भेजने का क्रम शुरू हो गया है। फळियार में विभिन्न प्रकार की मिठाईयां, आम, ओळा, सेवईयां, चीनी, शर्बत बोतल विशेष रूप से भेजे जाते है। कुछ लोग फळियार के साथ पंखा, कूलर, फ्रिज, एसी, चांदी का प्याला, ग्लासे और जग भी भेज रहे है। फळियार भेजने का क्रम निर्जला एकादशी तक जारी रहेगा।

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