बीकानेर. नमकीन के लिए दुनियाभर में विख्यात बीकानेर शहर का नाम हस्तलिखित गं्रथों को घरों में सहेजने में भी पहला स्थान है। शहर के कई घरों में 250 से 300 साल पुराने हस्तलिखित ग्रंथ आज भी संरक्षित है।पूर्व के ज्योतिषाचार्यो, गणितज्ञों, इतिहासकारों ने ऐसे हस्तलिखित ग्रंथों और सूत्रों को लिपिबद्ध किया, जो आज भी महत्वपूर्ण बने हुए है। कई घरों में पीढ़ी दर पीढ़ी ऐसे महत्वपूर्ण हस्तलिखित ग्रंथों को संरक्षित रखा हुआ है। विभिन्न विषयों के शोधार्थी और विद्यार्थी इन दुर्लभ ग्रंथों की मदद से क्षेत्र विशेष में पारंगत हो रहे है।
ग्रंथों को किसी कीमती वस्तु से भी अधिक सहेजकार रखे हुए है। हर साल इनकी देखभाल के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। शहर में ज्योतिष, कर्मकांड, तंत्र मंत्र साधना, व्याकरण, देव उपासना, पंचांग निर्माण सूत्र, वेद उपनिषद, धार्मिक ग्रंथों,हस्तरेखा सहित विभिन्न प्रकार की ज्योतिषीय गणना व सारिणी हस्तलिखित मौजूद है।
तीन शताब्दी पुराने है ग्रंथ
मोतीलाल ओझा सांगवेद प्रतिष्ठान के पंडित अशोक कुमार ओझा का कहना है कि बीकानेर में ज्योतिष विषय का बालबोध ग्रंथ संवत 1700 का है। कर्मकांड का ग्रंथ गणेश विधि 1744, ज्योतिषिय ग्रंथ व पाषा केवली संवत 1777 के है। डॉ. गोपाल नारायण व्यास के अनुसार हस्तलिखित व्रतखण्ड,गरुड पुराण 270 साल, सिद्ध गोपाल साधना, गोपाल सुंदरी साधना, कृष्णोपासना कल्पतद्रुम 200 से अधिक साल पुराने हस्तलिखित गंथ है, जो संरक्षित है।
ये ग्रंथ भी है संरक्षित
शहर के घरों में पीढी दर पीढ़ी संरक्षित ग्रंथों में बाला त्रिपुर स्त्रोत, श्री कालिका पूजा विधि, नारायणो उपनिषद, अद्भुत सागर, लग्न जातक, सूर्य सारिणी, नक्षत्र गणना सारिणी, वक्रतुण्ड गणेश प्रयोग, शिवभागवत मूल, श्रीमद्भागवत, उचिष्ठ गणेश आदि प्रमुख है।
कई ग्रंथ है अति दुर्लभ
घरों में संरक्षित हस्तलिखित ग्रंथों में कई ग्रंथ अब अति दुर्लभ है। इन ग्रंथों को पीढ़ी दर पीढी संभाले हुए लोगों का कहना है कि ये ग्रंथ अब अति दुर्लभ हो गए है। रमल ज्योतिष पद्धति, रमल रहस्य, रमल भास्कर, रमल चिंतामणि जो ज्योतिष आधारित ग्रंथ है प्राचीन व दुर्लभ है।
