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ये क्या, संक्रमण है कि जाता ही नहीं:20 दिन बाद भी पॉजिटिव से निगेटिव नहीं हो रहे मरीज, डॉक्टर बोले- अगर लक्षण नहीं है तो आइसोलेशन की जरूरत नहीं

बीकानेर

12 साल का ललित 15 अप्रैल को पॉजिटिव आ गया। इसके बाद उसके दादा और बहन भी पॉजिटिव हो गए। बुधवार को 20 दिन बाद भी तीनों पॉजिटिव हैं। घर के एक कमरे में पड़े-पड़े अब ये अवसाद की ओर बढ़ रहे हैं। उधर, चिकित्सकों का कहना है कि अगर 10 दिन बाद संक्रमित का स्वास्थ्य ठीक है, बुखार नहीं है, ऑक्सीजन सेचुरेशन सही है तो उसे आइसोलेशन की जरूरत नहीं है। हां, घर में रहना चाहिए ताकि कोई खतरा न हो।

बीकानेर में अकेले ललित ही नहीं, बल्कि ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं। रोगी 20 दिन बाद भी पॉजिटिव से निगेटिव नहीं हो रहा है। तीन बार UPHC 2 से RT-PCR जांच कराने के बाद भी हर बार रिपीट पॉजिटिव आ जाता है। इस बार जांच मुरलीधर व्यास कॉलोनी डिस्पेंसरी से करवाई। यहां भी तीनों की रिपोर्ट रिपीट पॉजिटिव ही आई। कारण साफ है कि इनके शरीर में अभी भी वायरस है। एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर के सभी सैंपल सेंटर्स पर ऐसे रोगी हर रोज पहुंच रहे हैं, जो पिछले लंबे समय से कोरोना संक्रमित हैं। इनकी रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ रही।

होम आइसोलेशन की जरूरत नहीं

इस बारे में पीबीएम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी.के. गुप्ता का कहना है कि अगर 10 दिन बाद किसी रोगी में कोरोना के लक्षण नहीं हैं तो उसे आइसोलेशन की जरूरत नहीं है। कोविड वायरस उसके शरीर में होता है लेकिन वो नुकसान करने की स्थिति में नहीं होता। ऐसे रोगी को अपने नियमित काम करने चाहिए। डॉ. गुप्ता बताते हैं कि ICMR ने भी 10 दिन बाद लक्षण नहीं होने पर जांच नहीं कराने की गाइड लाइन जारी कर दी है। प्रशासन रिकवरी के जो आंकड़े दे रहा है, उनमें अधिकांश रोगी की क्लिनिकल स्थिति के आधार पर ही है।

घर में हो गए परेशान

इस बार कोरोना ने बच्चों को अपनी गिरफ्त में लिया है। ऐसे में एक ही कमरे में आइसोलेट बच्चे जैसे-तैसे दस दिन तो गुजार लेते हैं लेेकिन इसके बाद वहां रहना इनके लिए मुश्किल हो रहा है। कुछ बच्चे तो अवसाद में जा रहे हैं। मनोचिकित्सक भी स्वस्थ बच्चों को अपनों के साथ रहने की सलाह दे रहे हैं।

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