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राजस्थान और यूपी में छिपे हैं नूंह दंगों के करीब 150 आरोपित, एसटीएफ को मिली पकड़ने की जिम्मेदारी

चंडीगढ़। हरियाणा के नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सैकड़ों आरोपित फरार हैं। हरियाणा पुलिस के पास करीब 100 आरोपित के राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जाकर छिपे होने की सूचना है। प्रदेश सरकार ने इन सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को इन उपद्रवियों को गिरफ्तार कर हरियाणा लाने का जिम्मा सौंपा गया है। एसटीएफ ने कई टीमों का गठन किया है, जो दंगाइयों को पकड़कर लाने के काम में जुट गई हैं।
नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के करीब 200 आरोपितों को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है और 100 के आसपास हिरासत में हैं, जिनसे गहन पूछताछ चल रही है। जिन लोगों को संदिग्ध मानकर हिरासत में लिया गया था और पूछताछ के दौरान हिंसा में उनका कोई कनेक्शन सामने नहीं आया, उन्हें जाने दिया जा रहा है।
चार अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा
पुलिस के पास जो जानकारी है, उसके मुताबिक चार अलग-अलग लोकेशन पर हिंसा हुई है। इन सभी लोकेशन की जांच पड़ताल, पूछताछ तथा साइबर जांच के माध्यम से पुलिस ने करीब 150 लोगों के नाम जुटाए हैं, जिनके हिंसा में शामिल होने की आशंका है। इन सभी की पहचान पुलिस के पास है।
एसटीएफ को मिली दंगाइयों को पकड़ने की जिम्मेदारी
हरियाणा पुलिस की एसटीएफ को जिम्मा दिया गया है कि वह नूंह में हिंसा करने के बाद फरार हुए आरोपित लोगों को पकड़कर लाए। सभी संदिग्ध के नाम और उनसे संबंधित सभी जानकारियां एसटीएफ को मुहैया करा दी गई हैं। सीआईडी के पास उपलब्ध सूचना के मुताबिक अधिकतर आरोपित राजस्थान में जाकर छिप गए हैं। कुछ आरोपितों के उत्तर प्रदेश में छिपने की खबर है तो कुछ लोग मेवात क्षेत्र में ही छिपे हुए हैं। आधा दर्जन पुलिस की टीमों में से कुछ को मेवात में ही छिपे लोगों को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
नूंह हिंसा कब और कैसे हुई?
नूंह में 31 जुलाई को ‘योजनाबद्ध’ तरीके से उस समय हिंसा हुई, जब जलाभिषेक यात्रा निकाली जा रही थी। यह यात्रा हर साल निकाली जाती है, लेकिन इससे पहले कभी कोई उपद्रव नहीं हुआ था। राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले दो भाइयों नासिर और जुनैद की हत्या के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी। उनके शव जली अवस्था में भिवानी में एक गाड़ी में मिले थे।
बताया जाता है कि नूंह की हिंसा नासिर-जुनैद हत्याकांड के बदले का परिणाम है। हालांकि, हत्या का आरोपित मोनू मानेसर कह चुका कि उसका इस हत्याकांड से कोई लेना देना नहीं है।