जयपुर
राजस्थान सरकार ने प्रदेश के गांवों की तस्वीर बदलने की योजना बनाई है। वहां के महत्व को देखते हुए ‘राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम‘ के तहत गांवों को टूरिज्म से जोड़ा जाएगा। शहरों की तर्ज पर अब सुदूर इलाकों में भी गेस्ट हाउस, एग्रीकल्चर टूरिज्म यूनिट, कैंपिंग साइट्स और कैरावैन पार्क बनाए जाएंगे।

गांव-ढ़ाणी में होगा पर्यटन
गांवों में बढ़ेगा रोजगार, पलायन रुकेगा
पर्यटन गतिविधियों से जोड़ने पर गांवों में सीधे रोजगार बढ़ेगा। गांव के लोगों की आमदनी बढ़ेगी। ढ़ाणियों और गांवों की पहचान देश-दुनिया तक होगी। वहां का खान-पान, गीत-संगीत, लोक कला, पहनावा, बोल-चाल, लोकल हैंडीक्राफ्ट, मेहमान नवाजी केवल वहीं तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि दुनिया भर में पहचान बनेगी। सरकार को पर्यटन से मिलने वाले रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।
राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम में 4 यूनिट्स बनेंगी

गांवों में बनेंगे गेस्ट हाउस
गेस्ट हाउस
ग्रामीण इलाकों में 6 से 20 कमरों तक के गेस्ट हाउस बनेंगे। इसमें पर्यटकों के ठहरने और खाने-पीने की सुविधा मिलेगी। इन गेस्ट हाउस में उसके मालिक या मैनेजर को अपने परिवार के साथ रहना जरूरी होगा। ताकि टूरिस्ट्स को सुरक्षित माहौल और परिवार के साथ रहने का अनुभव मिल सके।

जयपुर के रामपुरा रोड पर ग्रामीण इलाके का एक खेत
कृषि पर्यटन यूनिट
गांव में खेतों में पर्यटकों को घुमाया जाएगा। उन्हें खेती-बाड़ी के तौर-तरीके समझाए जाएंगे। किस तरह की फसल होती हैं, कैसे उगाई जाती है, ऐसे बिंदुओं पर सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया जाएगा।

एग्रो टूरिज्म यूनिट में फसलें भी देख सकेंगे पर्यटक।
कृषि पर्यटन यूनिट में निर्माण की भी होगी परमिशन
यह कृषि, व्यावसायिक और इंडस्ट्रियल जमीन पर कम से कम 2 हेक्टेयर इलाके में बनाई जा सकेगी। जमीन के 20 फीसदी हिस्से पर निर्माण करने की परमिशन होगी। बाकी की 80 फीसदी जमीन को ऊंट -घोड़ा फार्म, गौशाला, फसल उगाने जैसे गांव के माहौल के हिसाब से काम में लिया जा सकेगा।

कैंपिंग साइट पर लगेंगे पर्यटकों के डेरे
कैंपिंग साइट कैंपिंग साइट के लिए भी कृषि, व्यावसायिक और इंडस्ट्रियल भूमि का उपयोग किया जा सकेगा। इसमें कम से कम 1 हेक्टेयर जमीन होना जरूरी है। कुल जमीन के 10 फीसदी हिस्से पर निर्माण करने की परमिशन दी जाएगी। बाकी जमीन के 80 फीसदी हिस्से को ऊंट फार्म, घोड़ा फार्म, फसल, पशुओं-मवेशियों को रखने, गार्डन बनाने, गांव के परिवेश जैसे कामों के लिए काम में लिया जा सकेगा।
कैरावैन पार्क पर्यटकों की मोबाइल वैन को पार्क करने के लिए कैरावैन पार्क भी बनाए जाएंगे। कम से कम 1 हेक्टेयर इलाके की खेती की जमीन, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल लैंड पर ये पार्क बनाए जा सकेंगे। यहां पर्यटकों के लिए खाना पकाने, खाना खाने और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए निर्माण की इजाजत होगी। कैरावैन वाहन पार्क करते समय वैन में पर्यटकों की मौजूदगी जरूरी होगी। राजस्थान में रेतीले जिलों या दूसरे जिलों में फार्म हाउस बनाकर ऊंट फार्म, घोड़ा फार्म, गीत-संगीत, लोक नृत्य के बीच इस तरह का माहौल बनाया जा सकता है।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य कर रहे हैं मॉनिटरिंग
राज्य सरकार ग्रामीण इलाके में पर्यटन को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा में ग्रामीण पर्यटन को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद केन्द्र सरकार के स्वदेश दर्शन की थीम पर राजस्थान में गांव-ढाणियों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश सरकार ने दिए। राजस्थान की पर्यटन नीति-2020 में भी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ाना देने पर फोकस किया गया है। मुख्य सचिव निरंजन आर्य इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

गांवों की सभ्यता और संस्कृति का रखा जाएगा ख्याल
स्कीम में एडवाइजरी होगी जारी
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने निर्देश दिए हैं कि ग्रामीण इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने से गांवों की सभ्यता, संस्कृति पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। इसके लिए स्कीम में साफ एडवाइजरी जारी की जाएगी। ईको इलाकों में पर्यटन भवनों पर वन और पर्यावरण विभाग के सभी नियमों का सख्ती से पालन भी करवाया जाएगा।

निवेश और रोजगार बढ़ेगा
राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम से गांवों में निवेश और रोजगार बढ़ेगा
पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि ‘राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम‘ का असली मकसद गांवों में निवेश और रोजगार डवलप करना है। यहां के हैंडीक्राफ्ट आइटम और लोकल प्रोडक्ट्स को बचाना और उसका प्रचार कर उसे फैलाना है। सरकार चाहती है कि ग्रामीण पर्यटन विकसित होने से स्थानीय समुदाय की संस्कृति को लोग पहचान सकेंगे।
