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सबसे बड़ी पड़ताल:27 साल में 2000 करोड़ खर्च; फिर भी बॉर्डर के कई गांवों में ना सड़क ना अस्पताल, वजह-इस पैसे से अफसरों ने खरीदी गाड़ियां, शहर में कराए काम

बीकानेर

बदतर हैं बल्लर गांव के हाल - Dainik Bhaskar

बदतर हैं बल्लर गांव के हाल

  • सीमा से जुड़े गांवों में विकास के लिए लागू बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोजेक्ट का सच उजागर करती सबसे बड़ी पड़ताल
  • प्रदेश के चार जिलों में 1083 गांवों का डवलपमेंट करना है प्रोजेक्ट के जरिए

ये है अंतरराष्ट्रीय सीमा का आखिरी गांव 19 बीडी। यहां से बाॅर्डर पार पाकिस्तान की चौकी साफ नजर आती है। इस गांव में ना तो सड़क है और ना ही अस्पताल। रात में कोई बीमार हो जाए तो इलाज के लिए 20 किलोमीटर दूर खाजूवाला या 120 किलोमीटर दूर बीकानेर जाना पड़ता है। सेना के आने-जाने के लिए भी जर्जर सड़क है। गांव की नालियाें से लेकर सड़क तक पक्की नहीं है।

यहां इस गांव की चर्चा इसलिए की जा रही है, क्योंकि पांच साल में बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोजेक्ट (बीएडीपी) समेत अन्य योजनाओं से इस गांव पर 55 लाख का खर्च दिखाया गया है। इस गांव समेत बाॅर्डर से सटे ऐसे तमाम गांवों का ऐसा हाल तब है, जब केन्द्र सरकार ने राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे चार जिलों के 1083 गांवों के विकास के लिए 1993 से अब तक 2000 करोड़ रुपए बीएडीपी के मार्फत खर्च कर दिए हैं।

सरकार का लक्ष्य है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के जीरो से 50 किमी एरिया के गांवाें का विकास कराया जाए। 27 साल में सरकार सीमा से 10 किमी. की दूर स्थित गांवों में 2000 करोड़ खर्च कर चुकी है, फिर भी यहां सुविधाओं का अभाव है। अब सरकार ने 2024 तक इन गांवों के विकास का लक्ष्य रखा है। उसके बाद शून्य से 20 किलोमीटर दूर तक के गांवों का नंबर आएगा। भास्कर ने जब इन गांवों में हुए विकास की पड़ताल की तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आए।

पेश है अंतरराष्ट्रीय सीमा से ग्राउंड रिपोर्ट

  • 17 राज्याें अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के 111 जिलों को बीएडीपी का पैसा मिलता है।
  • राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और श्रीगंगागनर के 1083 गांवाें में ये स्कीम लागू है। बीकानेर में 168 किमी, श्रीगंगानगर में 210 किमी, बाड़मेर में 228 व जैसलमेर में 464 किमी बाॅर्डर इलाका है।
  • शून्य से 10 किमी के गांवाें को डवलप करने में लगेंगे 33 साल
  • बीएडीपी 1987 में शुरू हुई थी। राजस्थान में 1993 से लागू।
  • 2024 तक शून्य से 10 किलोमीटर दायरे के गांव को विकसित करना होगा। जिसमें 33 साल लगेंगे।
  • बीएडीपी से अब तक जैसलमेर में अब तक 600 करोड़, बाड़मेर में 500 करोड़, बीकानेर व श्रीगंगानगर में 400-400 करोड़ खर्च हो चुका है।

बाड़मेर : गांवाें-ढाणियों में पानी-सड़कें नहीं, कलेक्ट्रेट में बना दी सड़क

बाड़मेर जिले में बीएडीपी योजना से बीते 20 साल में 500 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। बावजूद इसके सरहदी गांवों में पानी-बिजली व सड़क सरीखी आधारभूत सुविधाएं गायब है। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 11 साल में बॉर्डर से दस किमी परिधि के गांवों पर बीएडीपी योजना से 350 करोड़ रुपए का बजट खर्च हो चुका है फिर भी 20 गांवों व 200 ढाणियों में न पीने के पानी की सुविधा है न सड़क-बिजली।

जनप्रतिनिधियों की सिफारिश पर अफसर बीएडीपी योजना का प्लान तैयार कर इतिश्री कर देते हैं, लेकिन धरातल पर ग्रामीणों को सुविधाएं मुहैया नहीं हो रही है। हालत ये है कि बाड़मेर शहर की कलेक्ट्रेट में सीसी सड़क का निर्माण बीएडीपी योजना से करवाया। पुलिस लाइन क्वार्टर के अलावा सीआईडी ऑफिस का भवन भी इसी राशि से बनवाया गया।

श्रीगंगानगर : प्रोजेक्ट के बजट से खरीद ली एंबुलेंस और अन्य गाड़ी
श्रीगंगानगर जिले में बीएडीपी योजना में बीते 5 साल में 141 करोड़ खर्च हो चुके हैं, लेकिन सीमा से सटे गांव सड़कों, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जिला परिषद के आंकड़ों में सामने आया कि पहले हर साल बीएडीपी में 40 से 50 करोड़ मिलते थे, लेकिन दो साल से यह राशि घटती जा रही है। दो साल पहले प्रशासन ने बीएडीपी के 41 लाख से तीन वाहन खरीदे थे। इनमें 16 लाख की दो एंबुलेंस स्वास्थ्य विभाग को दी गई, जबकि 25 लाख की एक गाड़ी वन विभाग को दी गई।

INFORMATION TO INSIGHT – 17 राज्याें में लागू है ये प्राेजेक्ट, ऑडिट के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति
नेताओं और अफसराें ने शहर का विकास कर दिया इस योजना से

2002 के आसपास बीएडीपी के पैसे से बीकानेर के तत्कालीन कलेक्टर समेत आठ अधिकारियों के लिए नई गाड़ियां खरीदी गई। रवीन्द्र रंगमंच के लिए दो करोड़ दिए गए। 2003 में गठित गंगासिंह विवि में 50 लाख लगाए गए। पीबीएम अस्पताल में उपकरणों से लेकर तमाम जगह पैसा खर्च हुआ।

बीकानेर जिला परिषद का मुख्य सभागार भी बीएडीपी के 25 लाख से बना। 2002 के बाद बाॅर्डर के शून्य से 10 किमी तक के गांवों में काम कराने का आदेश हुआ लेकिन 2014 के आसपास फिर सीमा बढ़ाकर शून्य से 20 किमी कर दी गई। अब फिर से शून्य से 10 किलोमीटर में बीएडीपी का पैसा खर्च करने की शर्त केन्द्र सरकार ने तय की है।
इसलिए बेकार चली जाती है रकम

बीएडीपी में गांव से लेकर बजट तय करने के लिए क्षेत्रीय सांसद, क्षेत्रीय विधायक, कलेक्टर, सीईओ जिला परिषद व एक्सईएन की कमेटी होती है। ऑडिट की टीम भी 14 बीडी देखकर लौट जाती है। कोई बल्लर, आनंदगढ़ या 19 बीडी जैसे गांव नहीं जाता।
बीकानेर का बजट घटाकर 12 कराेड़ किया

बीकानेर को बीएडीपी से दो करोड़ का बजट मिलना शुरू हुआ जो 40 करोड़ तक पहुंचा, लेकिन बीते साल बजट 18 करोड़ कर दिया। इस साल सिर्फ 12 करोड़ रह गया।

परियोजना निदेशक भास्कर त्रिपाठी से सवाल-जवाब

सवाल-बीएडीपी से अब तक चारों जिलों में कितना खर्च हुआ?
जवाब- लगभग 2000 करोड़ रु.।
सवाल- फिर क्यों सीमा के आखिरी गांव में विकास नहीं हुआ।
जवाब- शुरुआती एक दशक में बीएडीपी का दायरा बड़ा था। स्थानीय स्तर से प्रस्ताव सीमांत गांव के ना लेकर शहरी क्षेत्र से जुड़े गांव का लिया गया। ये निर्णय भी सांसद-विधायक और कलेक्टर समेत कई अधिकारी लेते हैं।
सवाल- पर पैसा बार्डर के गांव का है। फिर कब होगा इनका विकास।
जवाब- 2024 तक शून्य से 10 किमी के गांवों का पूरा विकास करना हमारा लक्ष्य है।
सवाल- कई गांव में तो सड़क भी नहीं बनी फिर कैसे करेंगे पूरा।
जवाब- प्रस्ताव आए हैं। हम टीमें बनाकर टारगेट बेस काम करेंगे।
सकारात्मक पहलू : प्रोजेक्ट के चार करोड़ से बदल गई गांव की तस्वीर

14 बीडी गांव का ग्राम पंचायत मुख्यालय एक रिसोर्ट की तरह दिखता है।

14 बीडी गांव का ग्राम पंचायत मुख्यालय एक रिसोर्ट की तरह दिखता है।

ये गांव है 14 बीडी। ये बाॅर्डर से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर है। बीएडीपी से अब तक यहां सिर्फ चार करोड़ खर्च हुए, लेकिन गांव का पंचायत भवन किसी रिजॉर्ट से कम नहीं है। सुसज्जित भवन, सीसीटीवी, आर्मी में नौकरी करने वाले गांव के सभी लोगों की फोटो, शहीद स्मारक, शवों को ले जाने वाला वाहन, औषधीय पौधों की क्यारियां, स्टेडियम, प्रत्येक गली में सीसी रोड है। चिकित्सालय, स्कूल, पानी, बिजली जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं हैं। ये बीकानेर समेत बीएडीपी के चारों जिलों में सबसे विकसित गांव की श्रेणी में आता है।

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