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स्वत: स्फूर्त गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन जोर पकड़ने लगा

जयपुर (वार्ता). देश में गौ हत्या रोकने एवं गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने के लिये चलाये जा रहे स्वत: स्फूर्त गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन अभियान अब जोर पकड़ने लगा हैं इसके तहत राजस्थान में भी गौ दूत सक्रिय है और संत महापुरुषों एवं सनातनियों को एकजुट एवं जागरुक करके इस आंदोलन को गति प्रदान करने में लगे है।
इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाने के लिए चारों पीठों के जगदगुरू शंकराचार्य एवं देश के प्रतिष्ठित संत महापुरुषों ने इस आंदोलन के तत्वावधान में देश के सभी प्रदेशों के लिए गौ दूत नियुक्ति किए गए हैं और राजस्थान में इन गौ दूतों ने रविवार को प्रेस वार्ता करके इस आंदोलन एवं अभियान के बारे में जानकारी दी। इस मौके गौ दूत एवं शंकराचार्य मठ से तीर्थ आनंद ब्रह्मचारी ने कहा कि जब देश में कश्मीर में अनु्च्छेद 370 हट सकती हैं और अयोध्या में राम मंदिर बन सकता है तो गौ हत्या क्यूं नहीं रुक सकती। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि उनका प्रयास जरुर सफल होगा।
गौ दूत एवं ज्योतिषाचार्य अंकित रावल ने बताया कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के पश्चात आजादी की सूत्रधार, अमृत की प्रदाता, आस्था और श्रद्धा का केंद्र, सात्विक ऊर्जा का स्रोत, राष्ट्र की संख्या समृद्धि का मूल आधार, सुव्यवस्थित उत्तम विकास एवं अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड, राष्ट्र धर्म व संस्कृति के अविरल विकास की जननी गौ की हत्या का कलंक ऋषि मुनियों की इस पवित्र तपोभूमि भारत से समाप्त कराकर राष्ट्रमाता का सर्वोच्च सम्मान प्रदान करने के लिए राजस्थान के सभी संसदीय क्षेत्रों से गौ-राष्ट्रभक्त, कर्तव्यनिष्ठा संतों की नियुक्ति करके अगले वर्ष छह फरवरी को श्री शंकराचार्य शिविर, माघ मेला क्षेत्र, प्रयागराज तीर्थ में होने जा रही गौ-संसद में पहुंचने का निर्णय किया गया है।
ज्योतिषाचार्य रावल ने बताया कि आगामी चार जनवरी को वृंदावन में सभी प्रदेशों के गौ भक्तों की एक विशेष गौ सभा आयोजित होगी। जिसमें आंदोलन के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट देते हुए कमर कसी जायेगी। 15 से 23 जनवरी तक दिल्ली में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लिए ग्यारह गौ विशेषज्ञ समूहों की बैठक आयोजित की जायेगी।
उन्होंने बताया कि इससे बात नहीं बनी तो 30 जनवरी को गौ विशेषज्ञों से प्राप्त आंकड़ों एवं निष्कर्ष के साथ गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लोगों का प्रतिनिधिमंडल देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, और विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से जाकर मिलेगा और इससे भी अगर काम नहीं हुआ तो छह फरवरी को प्रयागराज तीर्थ में एक वृहद गौ संसद का आयोजन होगा। जिसमें देशभर के सभी संसदीय क्षेत्रों से एक एक गौ प्रतिनिधि मनोनीत होकर गौ संसद में सम्मिलित होगा और देश की जनता की ओर से प्रस्ताव पारित करेगा।
उन्होंने बताया कि यदि फिर भी काम नहीं हुआ तो आध्यात्मिक उपायों एवं वैदिक शक्तियों को प्रधानता देते हुए इस पवित्र गौ आंदोलन की सफलता के लिए आह्वान किया जाएगा, जिसमें स्वत: स्फूर्त गो प्रतिष्ठा आंदोलन के तत्वावधान में 10 से 19 फरवरी तक दिल्ली के रामलीला मैदान में अश्वमेध महायज्ञ किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, अध्यक्ष-अखिल भारतीय सनातन परिषद एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को दी गई है।
उन्होंने बताया कि इसके बाद 14 से 20 फरवरी तक मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी के ब्रह्म घाट पर गौ रूद्र महायज्ञ किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी महामंडलेश्वर साध्वी श्याम दीदीजी को दी गई हैं। 15 से 21 फरवरी तक महाराष्ट्र प्रदेश के अमरावती में सिद्ध बाल हनुमान गोरक्षण, डरगांव में कामधेनु महायज्ञ किया जायेगा, जिसकी जिम्मेदारी 1008 महात्यागी पूज्य माधव दास महाराज को सौंपी गयी है।
इतने संघर्ष के बाद भी अगर आंदोलन के पक्ष में परिणाम नहीं आया तो 10 मार्च को सम्पूर्ण देश से दिल्ली में गौ भक्त एकत्रित होगें और छह फरवरी को आयोजित गौ संसद द्वारा पारित प्रस्तावों के अनुसार कार्य करते हुए गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने के लिए अंतिम हर एक आवश्यक प्रयास किये जायेंगे।