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27 करोड़ राजस्व का नुकसान, आयरन स्टील की पांच इकाइयों में उत्पादन बंद

भिवाड़ी. प्रदेश में महंगी बिजली का असर है कि औद्योगिक क्षेत्र की पांच फर्नेस इकाइयों ने एक साल में उत्पादन बंद कर दिया है। उत्पादन बंद होने से बिजली निगम को करीब पांच से सात करोड़ बिल का प्रति महीने नुकसान है। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) में भी बड़ी कमी आई है। वित्तीय वर्ष के चार महीने में ही फर्नेस इकाइयों से मिलने वाले राजस्व में २७ करोड़ से अधिक की कमी आई है।
एसजीएसटी से मिले आंकड़ों को देखें तो औद्योगिक क्षेत्र के सभी 10 सेक्टर से मिलने वाले राजस्व में अप्रेल से जुलाई तक 80 करोड़ रुपए के राजस्व की कमी आई है। चालू वित्तीय वर्ष के चार महीने में मशीनरी एंड एयरकंडीशनिंग सेक्टर में 15 करोड़, इन आॅर्गेनिक केमिकल में छह करोड़, इलेक्ट्रिक मशीनरी उपकरण में 6.82 करोड़, आॅर्गेनिक केमिकल में एक करोड़, कॉपर एंड पार्टिकल्स में 7.83 करोड़ और व्हीकल आॅटो मोबाइल एंड स्पेयर पार्टस सेक्टर से मिलने वाले राजस्व में 5.31 करोड़ की कमी आई है। गत वर्ष इस अवधि में मशीनरी एयरकंडीशनिंग सेक्टर से 88 करोड़ का राजस्व मिला जबकि इस बार 73 करोड़ ही प्राप्त हुआ। गत वर्ष इस अवधि में आयरन स्टील सेक्टर से 91 करोड़ का राजस्व मिला जबकि इस बार 64 करोड़ ही मिला। एक साल में आयरन फर्नेस की पांच इकाई बंद हो चुकी हैं। जो चल रही हैं उनके द्वारा भी कम उत्पादन किया जा रहा है, जिससे कम राजस्व मिल रहा है।
महंगी बिजली और माल
क्षेत्र में फर्नेस की 17 यूनिट हैं जिसमें से पांच के कनेक्शन कटने से विद्युत निगम को प्रति महीने करीब पांच से सात करोड़ बिजली बिल का नुकसान हुआ है। फर्नेस इकाइयों का भार काफी अधिक होता, इससे निगम को लाखों रुपए स्थायी शुल्क के मिलते हैं। फर्नेस इकाइयों द्वारा कच्चे माल से लोहे के इंगट बनाए जाते हैं। इंगट का उपयोग सरिया उत्पादन में होता है। इकाइयों के सामने समस्या यह है कि बिजली की बेस रेट प्रति यूनिट 7.30 पैसे प्रति यूनिट है, जबकि पंजाब में यह दर छह रूपए प्रति यूनिट है। पंजाब में बिजली सस्ती होने से कच्चे माल को वहां महंगी दर पर खरीद लिया जाता है, क्योंकि बिजली सस्ती होने से उनका औसत निकल आता है। जबकि भिवाड़ी में बिजली महंगी होने की वजह से कच्चे माल को महंगा नहीं खरीद सकते। भिवाड़ी की इकाइयों को न तो सस्ता स्क्रेप मिल रहा है और न ही सस्ती बिजली मिल रही है। छत्तीसगढ़, रायपुर, रायगढ़ में भी बिजली सस्ती होने की वजह से वहां से निर्मित इंगट का सरिया निमार्ता खरीद लेते हैं। इस समस्या को देखते हुए स्थानीय फर्नेस इकाइयों ने उत्पादन बंद कर दिया है। उत्पादन बंद होने से करीब दो हजार रोजगार भी कम हुए हैं।
फिक्स चार्ज आठ लाख तक
क्षेत्र की 17 फर्नेस इकाई से बिजली बोर्ड को प्रति महीने करीब 25 से 30 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। औसतन एक इकाई का सवा से डेढ़ करोड़ का बिल बनता है। उत्पादन बंद होने के बाद इकाइयों ने कनेक्शन इसलिए कटवाए हैं जिससे कि उन्हें फिक्स चार्ज से राहत मिल सके। एक फर्नेस इकाई का 1500 से 3000 केवीए का कनेक्शन होता है, जिस पर प्रति महीने 280 रुपए प्रति केवीए फिक्स चार्ज लगता है। इस तरह प्रति महीने पांच से आठ लाख रुपए तक फिक्स चार्ज बनता है। प्रति यूनिट बिल के साथ फिक्स चार्ज को बचाने के लिए फर्नेस इकाइयों ने कनेक्शन कटवाए हैं।
आयरन स्टील सेक्टर से मिलने वाले राजस्व में काफी कमी आई है। अन्य सेक्टर में भी विभिन्न वजहों से राजस्व कम हुआ है। – रामप्रसाद, अतिरिक्त आयुक्त प्रशासन, एसजीएसटी