श्रीगंगानगर
कोरोना के वर्तमान दौर में भावनाओं पर भी महामारी भारी पड़ती नजर आ रही है। शहर के वृद्धाश्रम में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया, कमाने लायक बनायाद्ध अंगुली पकडक़र चलना सिखाया, आज वे ही उन्हें भूल गए हैं। बुधवार को शहर के वृद्धाश्रम ‘अपना घर’ में जब बुजुर्गों से बात की तो यही हालात सामने आए।
बेटे को हमने बनाया काबिल
एसएसबी रोड के कृष्णलाल चलाना बताते हैं कि बेटे को हमने काबिल बनाया। हमने बचपन में उसकी हर जरूरत पूरी की। उसकी हर बात मानी लेकिन बहू अब उन्हें रखने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि बहू ने उन पर दहेज का केस दर्ज करवा दिया और आत्महत्या की धमकी दे डाली। अब कोरोना का वक्त है, हमने बच्चे को बचपन में कभी परेशान नहीं होने दिया और आज इस बुरे दौर में वो हमसे दूर है।
बहू करती है परेशान
रत्तेवाला के ईश्वरदास गुप्ता कभी बरतन की दुकान चलाते थे। उनका कहना है कि बहू बहुत तेज तर्रार है। बेटे की बहू के सामने नहीं चलती। इसी कारण उन्हें वृद्धाश्रम का रुख करना पड़ा। उनका कहना था कि कोरोना के दौर में भी बच्चे याद नहीं करते। हां यह बात ठीक है कि आश्रम में उन्हें किसी चीज की कमी नहीं है।
सबकी अपनी मजबूरी
पदमपुर क्षेत्र के महेंद्रसिंह का कहना है कि सबकी अपनी मजबूरी होती है। पारिवारिक मजबूरियों के कारण ही उन्हें परिवार से दूर होना पड़ा। परिवार में कुछ समस्याएं थी। इसी कारण वे आज वृद्धाश्रम में हैं तथा बच्चों से दूर हैं।
