मुंबई
कोरोना महामारी ने घरेलू बचत पर गहरा असर डाला है। भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की तरफ से जारी शुरुआती अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में घरेलू बचत घटकर GDP का 8.2% रह गई, जो दूसरी तिमाही में 10.4% और पहली तिमाही में 21% थी।
पहले 9 माह में शुद्ध बचत और GDP का रेशियो 20 सालों में सबसे ज्यादा
अगर बीते वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के आंकड़ों को समग्रता में देखें तो वित्तीय बचत का पैटर्न ज्यादा बुरा नहीं है। अप्रैल-जून, 2020 के दौरान घरेलू बचत का औसत आकर्षक है। 2020-21 के पहले 9 महीनों में शुद्ध पारिवारिक वित्तीय बचत और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुपात 12.5% रहा, जो कम से कम 20 वर्षों में सबसे अधिक है।
महामारी में खर्च बढ़ा, लेकिन इनकम घटी
2020-21 के पहले 9 महीनों में शुद्ध पारिवारिक बचत 58.4% बढ़कर 17.52 लाख करोड़ रुपए हो गई, जो 2019-20 के पहले 9 महीनों में 11.06 लाख करोड़ थी। इसके बावजूद तिमाही-दर-तिमाही बचत घटने का मतलब है कि महामारी के दौरान जहां पारिवारिक आय घटी वहीं खर्चे बढ़ते गए।
देनदारी कम बढ़ी, इसलिए आया बचत में उछाल
अप्रैल-दिसंबर, 2020 में सकल घरेलू वित्तीय बचत 45.4% उछाल के साथ 21.78 लाख करोड़ पर पहुंच गई थी, जो एक साल पहले की समान अवधि में 14.98 लाख करोड़ रुपए थी। इस दौरान पारिवारिक देनदारी 3.92 लाख करोड़ से 8.6% बढ़कर 4.26 लाख करोड़ हो गई। जाहिर है, पिछले वित्त वर्ष पारिवारिक देनदारी कम बढ़ी।
