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लाइफस्टाइल

वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस-डे आज:दुनिया में हर 58 में से एक बच्चा ऑटिज्म से जूझ रहा, हद से ज्यादा जिद्दी होना और गुमसुम रहना है इसके लक्षण

वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस-डे आज:दुनिया में हर 58 में से एक बच्चा ऑटिज्म से जूझ रहा, हद से ज्यादा जिद्दी होना और गुमसुम रहना है इसके लक्षण

लाइफस्टाइल, साइंस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर (एएसडी) बातचीत और सामाजिक बर्ताव से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जो बचपन में शुरू होकर सारी जिंदगी रहती है। जन्म के 3 से 5 माह बाद बच्चे में इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें कम्युनिकेशन न होने पर बच्चे खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह मस्तिष्क से जुड़ी कई कमियों का एक समूह है, जिसमें मरीज को बोलचाल से लेकर सामाजिक व्यवहार तक में दिक्कत होती है। आज वर्ल्ड ऑटिज्म-डे है। बोर्ड सर्टिफाइड बिहेवियर एनालिस्ट डॉ. प्रियांका बापना भाबू से जानिए, ऑटिज्म पीड़ित कैसे सामान्य जीवन जी सकते हैं... 40% तक बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैंइस बीमारी का न तो अभी तक कोई पुख्ता कारण पता चला है और न ही इलाज खोजा जा सका है। हालांकि, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे में कई थेरेपी से सुधार हो सकता है। 20 से 40% पीड़ित बच्चे थे...
खेल-खेल में ऐसे रहें फिट:वजन घटाने और बॉडी को शेप में रखने के लिए रस्सीकूद, जुम्बा और स्पोर्ट्स एक्टिविटी अपने रूटीन में शामिल करें

खेल-खेल में ऐसे रहें फिट:वजन घटाने और बॉडी को शेप में रखने के लिए रस्सीकूद, जुम्बा और स्पोर्ट्स एक्टिविटी अपने रूटीन में शामिल करें

लाइफस्टाइल, साइंस
अक्सर एक ही जैसे वर्कआउट से बोरियत होने लगती है। समय-समय पर इसमें कुछ बदलाव करें। जैसे- ट्रेडमिल करते हुए अगर आप बोरियत महसूस कर रहे हैं तो कुछ खास एरोबिक्स एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल कर सकते हैं। इनका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और बॉडी को शेप में रखने में मदद करते हैं। जानिए, कौन से वर्कआउट अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं... 1- रस्सीकूदइसे आसानी से घर पर किया जा सकता है। स्किपिंग रोप बाजार में आसानी से उपलब्ध भी है। ऐसे करें: सबसे पहले वॉक कर बॉडी को वॉर्मअप करें। पहली बार रस्सी कूद रहे हैं, तो शुरुआत धीरे-धीरे करें। जितनी क्षमता हो, उतनी बार ही रस्सी कूदें। धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाएं। ऐसा 30 सेकंड तक करें फिर 30 सेकंड के लिए रुकें। फिर 30 सेकंड के लिए रस्सी कूद करें। ऐसा रोजाना 10 मिनट तक करें। 2- रनिंग ऐसे करें: यह एक एरोबिक एक्सरसाइज है। इसके लिए रोजाना 30 मिनट दें। जिसकी शु...
वॉक इतनी है जरूरी:हफ्ते में 5 दिन की वॉक याद्दाश्त को घटने से बचाती है, ब्रेन पर बढ़ती उम्र के असर को रोकती है

वॉक इतनी है जरूरी:हफ्ते में 5 दिन की वॉक याद्दाश्त को घटने से बचाती है, ब्रेन पर बढ़ती उम्र के असर को रोकती है

लाइफस्टाइल, साइंस
मेमोरी लॉस रोकना है तो हफ्ते में 5 दिन वॉक करें। रोजाना पैदल चलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और दिमाग पर बढ़ती उम्र का असर रोका जा सकता है। यह दावा टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है। ऐसे काम करती है वॉकअमेरिकी लोगों पर एक साल तक हुई रिसर्च में सामने आया कि ब्रिस्क वॉक से मेमोरी पर बुरा असर पड़ने से रोका जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है, वॉक करने से इंसान के दिमाग में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है। इस कारण ब्रेन की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचते हैं। नतीजा, दिमाग स्वस्थ रहता है। वॉक जरूरी क्योंकि मेमोरी घटने का इलाज नहींशोधकर्ताओं का कहना है, वॉक इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि डिमेंशिया के कारण होने वाले मेमोरी लॉस का अब तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। रोजाना की वॉक मेमोरी को घटने से रोकने के साथ उसे और बेहतर बनाने का काम करती है। अमेरिका म...
लेंस पहनने वाले ध्यान रखें:कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर नहाते हैं तो आंखों में संक्रमण का खतरा 7 गुना ज्यादा रहता है, लालिमा और अल्सर भी हो सकता है

लेंस पहनने वाले ध्यान रखें:कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर नहाते हैं तो आंखों में संक्रमण का खतरा 7 गुना ज्यादा रहता है, लालिमा और अल्सर भी हो सकता है

लाइफस्टाइल, साइंस
कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर नहाते हैं तो अलर्ट हो जाएं। ऐसा करने से आंखों में संक्रमण का खतरा 7 गुना अधिक रहता है। आंखों में दर्द होने के साथ लालिमा और कॉर्निया में अल्सर भी हो सकता है। यह दावा ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं ने कॉन्टेक्ट लेंस पहनने वाले 78 यूजर्स पर रिसर्च की। रिसर्च में सामने आया कि लेंस पहनकर नहाते हैं तो आंखों पर बुरा असर दिखता है। अगर इसका इलाज नहीं कराते हैं तो धुंधला दिखने की समस्या हो सकती है। इसलिए बढ़ता है खतराशोधकर्ताओं का कहना है, नहाने के दौरान अगर लेंस पहने रहते हैं तो बैक्टीरिया को आंखों में संक्रमण फैलाने में मदद मिलती है। नहाने से लेंस की सतह पर नमी बनी रहती है। जिससे बैक्टीरिया अपनी संख्या और संक्रमण का दायरा आसानी से बढ़ाता है। सोते समय भी अलर्ट रहेंब्रिटिश शोधकर्ताओं का कहना है, कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर सोना भी ठीक नहीं है। इससे बैक्टीरियल और फ...
कॉफी और प्रेग्नेंसी का कनेक्शन:गर्भवती महिलाएं दिन में आधा कप कॉफी भी पीती हैं तो बच्चे का आकार छोटा हो सकता है, जानिए ऐसा होता क्यों है

कॉफी और प्रेग्नेंसी का कनेक्शन:गर्भवती महिलाएं दिन में आधा कप कॉफी भी पीती हैं तो बच्चे का आकार छोटा हो सकता है, जानिए ऐसा होता क्यों है

लाइफस्टाइल
प्रेग्नेंसी के दौरान एक दिन में आधा कप कॉफी भी पीती हैं तो बच्चा आकार में छोटा पैदा हो सकता है। यह दावा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है। रिसर्च के मुताबिक, जन्म के समय बच्चा छोटा होता है तो भविष्य में मोटापा, हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा भी रहता है। ऐसे हुई रिसर्चशोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक अलग-अलग देशों की महिलाओं को रिसर्च में शामिल किया। 12 अलग-अलग जगहों पर ये रिसर्च हुई। रिसर्च में शामिल होने के लिए 8 से 13 हफ्ते की प्रेग्नेंट महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था। ये सभी महिलाएं नॉन-स्मोकर्स थीं और प्रेग्नेंसी से पहले किसी भी रोग से परेशान नहीं थीं। ऐसा क्यों है, इसकी वजह भी जान लीजिएशोधकर्ताओं का कहना है, कैफीन के असर के कारण गर्भाशय और गर्भनाल सिकुड़ती है। इससे कोख में पल रहे बच्चे तक ब्लड की सप्लाई घट सकती है। नतीजा, इसका असर उसकी ग्रोथ पर पड़ सकता है। ...
अलर्ट करने वाली रिसर्च:मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा दोगुना, यह दिल की बीमारी के लिए बड़ा रिस्क फैक्टर

अलर्ट करने वाली रिसर्च:मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा दोगुना, यह दिल की बीमारी के लिए बड़ा रिस्क फैक्टर

लाइफस्टाइल
मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं तो ब्लड प्रेशर बढ़े होने का खतरा दोगुना होता है। यह दावा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, मसड़ों की बीमारी पीरियोडॉन्टाइटिस से जूझ रहे 250 लोगों पर रिसर्च की गई। रिसर्च में सामने आया कि इनमें 2.3 गुना तक ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ था। क्या होती है मसूड़ों की बीमारी पीरियोडॉन्टाइटिसपीरियोडॉन्टाइटिस मसूड़ों में होने वाला संक्रमण है। इस संक्रमण में ब्लीडिंग होने के साथ दांत कमजोर होने का खतरा बढ़ता है। शोधकर्ता कहते हैं, पीरियोडॉन्टाइटिस से जूझ रहे 250 में से 14 फीसदी मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन की समस्या पाई गई। मसूड़ों की बीमारी कितनी गंभीर है, मरीजों में इसका स्तर देखा गया। इसके अलावा ब्लड प्रेशर नापा गया, ब्लड टेस्ट किया गया। टेस्ट के जरिए ये जांचा गया कि ब्लड में सी-रिएक्टिव प्रोटीन कि...
कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर नहाते हैं तो अलर्ट हो जाएं। ऐसा करने से आंखों में संक्रमण का खतरा 7 गुना अधिक रहता है। आंखों में दर्द होने के साथ लालिमा और कॉर्निया में अल्सर भी हो सकता है।

कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर नहाते हैं तो अलर्ट हो जाएं। ऐसा करने से आंखों में संक्रमण का खतरा 7 गुना अधिक रहता है। आंखों में दर्द होने के साथ लालिमा और कॉर्निया में अल्सर भी हो सकता है।

लाइफस्टाइल
यह दावा ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं ने कॉन्टेक्ट लेंस पहनने वाले 78 यूजर्स पर रिसर्च की। रिसर्च में सामने आया कि लेंस पहनकर नहाते हैं तो आंखों पर बुरा असर दिखता है। अगर इसका इलाज नहीं कराते हैं तो धुंधला दिखने की समस्या हो सकती है। इसलिए बढ़ता है खतराशोधकर्ताओं का कहना है, नहाने के दौरान अगर लेंस पहने रहते हैं तो बैक्टीरिया को आंखों में संक्रमण फैलाने में मदद मिलती है। नहाने से लेंस की सतह पर नमी बनी रहती है। जिससे बैक्टीरिया अपनी संख्या और संक्रमण का दायरा आसानी से बढ़ाता है। सोते समय भी अलर्ट रहेंब्रिटिश शोधकर्ताओं का कहना है, कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर सोना भी ठीक नहीं है। इससे बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन का खतरा 3 गुना तक रहता है। इस संक्रमण को विज्ञान की भाषा में माइक्रोबियल किरेटाइटिस कहते हैं। रिसर्च के मुताबिक, ब्रिटेन में 40 लाख लोग कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करत...