फतेहपुर। अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार चौरसिया की अदालत ने तीस वर्ष पुराने सामूहिक हत्याकांड के मामले की सुनवाई की और गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाए गए सभी दस लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। खागा कोतवाली के नेवानीपर मजरे कस्बा सोहन में 23 जुलाई 1992 को दिल दहला देने वाली यह घटना हुई।
घटना के एक वर्ष पहले वादी श्यामबिहारी के पौत्र दिनेश की हत्या कानेमई गांव के संतोष, राकेश झल्लर ने कर दी थी और शव को गायब कर दिया था। मृतक के भाई ओमप्रकाश ने थाना सैनी जनपद इलाहाबाद में मुकदमा उक्त के खिलाफ दर्ज कराया था।
मुकदमे की खुन्नस पर 23 जुलाई 1992 को संतोष, दिनेश, बड़कू, छोटकू उर्फ चंद्रपाल, ललकू, बूंदी पासी, अंसार, निसार, मकबूल, इकबाल व सत्तार बंदूक व तमंचे से लैस होकर आ धमके और नेवानीपर गांव में भोंडा चमार की कालोनी के कमरे पर ताश खेल रहे कमलाकांत, ओमप्रकाश, रमाकांत पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी और घेरकर फावड़े से भी वार किया। जिसमें रमाकांत की मौके पर ही मौत हो गई।
गांव में फायरिंग से दहशत फैल गई। गांव के गौरीशंकर, पीतांबर, आनंद स्वरूप, नागेंद्र, बमशंकर, ओमप्रकाश, जुझलाल, नरेंद्र, शिववृत आदि ने हमलावरों का पीछा किया तो उन पर भी ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें बमशंकर, ओमप्रकाश, जुझलाल व नरेंद्र की मौत हो गई और कृष्ण अवतार, शिववृत व पीतांबर घायल हो गए थे।
अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए संतोष, दिनेश, छोटकू उर्फ चंद्रपाल, लाबू उर्फ ललकू, अंसार, निसार, इकबाल, सत्तार, एजाज व लल्लू को दोषी करार दिया। गुरुवार को अदालत ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने निसार ,लल्लू पर 35- 35 हजार व अन्य आठ दोषियों को 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया। हत्याकांड में आरोपित बड़कू, मकबूल व रसीद की दौरान मुकदमा मौत हो चुकी है।अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र कुमार सिंह भदौरिया ने दलीलें रखी।