श्रीगंगानगर
शहर की इंदिरा वाटिका में प्रवेश करते ही बिलकुल बीच में गड्ढेनुमा एक निर्माण नजर आता है। इस निर्माण में झाड़ झंखाड़ उगे हैं, कचरा जमा है और कभी-कभी यहां बच्चे क्रिकेट खेलते भी नजर आते है।
यह है करीब बीस वर्ष पहले यहां बना बाल नौकायन सरोवर यानी बोटिंग प्लेस। बनाने का उद्देश्य बेहतरीन था। प्रयास था कि शहर के बच्चे बोटिंग का मजा ले सकें, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शुरुआती तौर पर तो यहां एक ठेकेदार को इसका काम दिया गया लेकिन बाद में न ठेका हुआ और न ही किसी ने यह ठेका लेने में रुचि दिखाई और बोटिंग बंद हो गई।
बोटिंग, पार्क और साथ ही था रेस्टोरेंट
वर्ष 2001 में इस बोटिंग पोंड की जब शुरुआत की गई तो यहां पार्क में लोगों को बैठने की सुविधा भी दी गई। बच्चों के बोटिंग करने के लिए प्रबंध किए गए। ठेकेदार ने यहां दो बोट का भी प्रबंध किया। ये बोट चलाने के लिए ठेकेदार के स्तर पर कर्मचारी लगाए गए। बोटिंग के साथ ही पार्क परिसर में एक रेस्टोरेंट का भी प्रबंध किया गया। लोगों ने रुचि भी दिखाई लेकिन बाद में किसी अन्य ठेकेदार का ठेका दिया ही नहीं गया और बोटिंग का काम बंद होने साथ ही पौंड की भी देखभाल बंद हो गई। अब यह जर्जर हाल में है।
मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन
उस समय इस बोटिंग प्रोजेक्ट का उद्घाटन मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत ने तीन जनवरी 2001 को किया था। उनके साथ मंत्री शांति धारीवाल भी कार्यक्रम में मौजूद थे। पूरे उत्साह से शुरू किए गए प्रोजेक्ट में सुरक्षा सहित कुछ अन्य बिंदुओं पर कमियां रह जाने से बाद में किसी ने भी इस प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाई और ठेका लेेने से यहां बोटिंग बंद हो गई।
वर्तमान विधायक थे न्यास अध्यक्ष
खास बात यह है कि जब यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, उस समय नगर विकास न्यास के अध्यक्ष वर्तमान विधायक राजकुमार गौड़ ही थे। ऐसे में गौड़ के विधायक बनने केे बाद इस बोटिंग कार्य की फिर से शुरुआत की उम्मीद जागी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
