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घग्घर बहाव क्षेत्र में दो जगह हुआ पानी का रिसाव, स्थिति नियंत्रण में

  • नाली बेड में 5600 क्यूसेक पानी प्रवाहित होने से बढ़ा बाढ़ का खतरा
    हनुमानगढ़ (सीमा सन्देश न्यूज)।
    क्षेत्र से होकर गुजर रही घग्घर नदी उफान पर है। बुधवार को अचानक घग्घर नदी का जल स्तर बढ़ने से अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। बुधवार को नाली बेड में 5600 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था जो खतरे के निशान से ऊपर है। क्योंकि नाली बैल्ट की परखी हुई क्षमता 5500 क्यूसेक है। ऐसे में खतरे के निशान से ऊपर पानी प्रवाहित होने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। सेमनाला और नाली बेड की क्षमता पूरी होने पर अब सवाल यह है कि क्या नाली बेड वर्तमान में चल रहे पानी की मात्रा से अधिक पानी झेल पाएगा? अब अगर और पानी आया तो कहां छोड़ा जाएगा, प्रशासन इस सवाल का जवाब ढूंढने का प्रयास कर रहा है। ओटू हैड से भी राजस्थान क्षेत्र के लिए प्रवाहित पानी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। घग्घर नदी का जल स्तर लगातार बढ़ने से तटबंध कमजोर होते जा रहे हैं। अगले 24 घंटे जिले के लिए बेहद चिंताजनक हैं। बुधवार सुबह हनुमानगढ़ में दो जगह घग्घर नदी के तटबंधों में पानी का रिसाव होने से जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। बुधवार सुबह डबलीराठान के गांव सहजीपुरा के समीप बहलोलनगर की तरफ बांध में किसान के खेत में सिंचाई के लिए दबी पाइप से नदी का पानी लीकेज होना शुरू हो गया। बंधे में कटाव आने की सूचना ग्रामीण, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और स्थिति पर काबू पाया। लेकिन तब तक करीब दो बीघा भूमि में पानी पसर चुका था। सूचना मिलने पर पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप, पूर्व जिला प्रमुख कृष्ण चोटिया भी मौके पर पहुंचे। वहीं दूसरी तरफ टिब्बी के पास घग्घर नदी की आरडी 9, बिहारी बस्ती के पास मोघे में भी बुधवार सुबह पानी का रिसाव होने लगा। मोघे में रिसाव से घग्घर नदी का पानी खेतरों में भर गया। पानी का रिसाव होने की सूचना मिलते ही ग्रामीण व प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और जेसीबी और ग्रामीणों की मदद से रिसाव की जगह को दुरुस्त कर स्थिति को नियंत्रित किया। इससे एक बार दोनों जगह खतरा टल गया है। रावतसर के गांव भैरूसरी के चक तीन एसपीडी के पास सेमनाला भी टूटने का समाचार है। सेमनाला टूटने से करीब 500 से 600 बीघा भूमि में जलभराव हो गया। इससे किसानों को काफी नुकसान होने की बात कही जा रही है। सूचना पर प्रशासनिक अधिकारियों और ग्रामीणों ने पहुंच स्थिति नियंत्रण में की। बुधवार को हनुमानगढ़ टाउन में बिहारी बस्ती के पास नाली बंधे से पानी रिसाव की अफवाह ने अधिकारियों की दौड़-धूप करवा दी। जानकारी के अनुसार बंधे के पास एक किसान की ओर से नाली बेड से मोघा खोलकर अपने खेत में पानी लगाने का प्रयास किया जा रहा था जिसे प्रशासन ने समय रहते रुकवा दिया। अधिकारियों का कहना था कि डर की कोई बात नहीं है यहां बंधे मजबूत स्थिति में हैं। ओटू हैड से राजस्थान क्षेत्र में बुधवार को 36175 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया गया। इससे राजस्थान क्षेत्र में घग्घर नदी उफान पर है। नाली बेड में फिलहाल 5600 क्यूसेक पानी चला रहे हैं। बंधों को दुरुस्त कर इस बार इसमें करीब छह हजार क्यूसेक पानी चलाने की तैयारी है। दूसरी तरफ घग्घर के अतिरिक्त पानी को इंदिरा गांधी फीडर में प्रवाहित करने के लिए खोले गए सभी गेट की सफाई अब पूरी हो चुकी है। बरसों पूर्व घग्घर की जीरो तथा फीडर की आरडी 629 पर बनाए गए इंटेक स्ट्रक्चर को चलाने के लिए एक सप्ताह से टीम जुटी हुई थी। गेट खुलवाकर उनमें से पानी शुरू करने से अब घग्घर नदी से करीब 3146 क्यूसेक पानी इंदिरा गांधी फीडर में प्रवाहित हो रहा है। इससे जीडीसी (सेमनाले) व नाली बेड पर पानी का दबाव काफी कम होगा। करीब 3100 क्यूसेक पानी के डायवर्ट होने से बहुत बड़ा फायदा मिला है। अगर यह पानी डायवर्ट नहीं होता तो इसे नाली बेड में छोड़ना पड़ता। आईजीएनपी में 10 हजार क्यूसेक तक पानी डायवर्ट किया जा सकता है। इतिहास में पहली बार घग्घर साइफन से आईजीएनपी में पानी डाला जा रहा है। बुधवार को गुल्लाचिक्का हैड पर 42046, खनौरी 13625, चांदपुर 20700, सरहिंद ड्रेन में 5502, ओटू हैड से 36175 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया जा रहा था। घग्घर साइफन में 19656, नाली बेड में 5600, जीडीसी आरडी 42 में 14056, जीडीसी आरडी 133 में 5744, एसओजी ब्रांच में 1700, जीडीसी आरडी 158 में 5380 क्यूसेक पानी चलाया जा रहा था। वहीं घग्घर साइफन से इंदिरा गांधी नहर में 3146 क्यूसेक पानी डायवर्ट किया जा रहा था।