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चमोली में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियां उफनाई; करीब 170 लोगों के मारे जाने की आशंका

  • 10 शव बरामद, बाकी की तलाश जारी, NTPC के पास टनल में 20 वर्कर्स के फंसे होने की आशंका

उत्तराखंड में रविवार सुबह करीब साढ़े दस बजे बहुत बड़ा हादसा हुआ। राज्य के चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा। इससे बेतहाशा बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई और धौलीगंगा पर बन रहा बांध बह गया।

तपोवन में एक प्राइवेट पावर कंपनी के ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और सरकारी कंपनी NTPC के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ है। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम कर रहे 15 से 20 मजदूर लापता बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही NTPC प्रोजेक्ट पर करीब 150 मजदूरों की जान जाने की आशंका है। इनमें सुरंग में फंस गए 50 वर्कर्स भी शामिल हैं। प्रोजेक्ट साइट से तीन शव बरामद हुए हैं।

राहत की बात यह है कि पीपल कोटी से चमोली के बीच में अलकनंदा नदी का स्तर तो बढ़ा है, लेकिन नदी का क्षेत्र चौड़ा होने से बहाव सामान्य हो गया है। हादसे के बाद NDRF और ADIRF की टीमें मौके पर पहुंच कर बचाव कार्य कर रही हैं।

घटना सुबह साढ़े दस बजे की है। ग्लेशियर टूटने से धौली नदी ने विकराल रूप ले लिया। देखते ही देखते नदी ने रास्ते में आने वाले हर अवरोध को पाटना शुरू कर दिया। ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट साइट तक पहुंचते-पहुंचते नदी इतनी विकराल हो गई कि उसने पूरे बांध को ही बहा दिया। मौके पर मौजूद तमाम मशीनरी और लोग इसकी चपेट में आ गए।

इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने हरिद्वार तक अलर्ट किया और टिहरी बांध से भागीरथी में पानी का डिस्चार्ज बंद किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मौके पर पहुंचे हैं और हालात की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

हादसे के बाद से अलकनंदा और गंगा से किनारे के इलाकों में दहशत है। ऋषिकेश में राफ्टिंग और नावों पर रोक लगा दी गई है। यही नहीं, श्रीनगर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के बांध को भी खाली कर दिया गया है, ताकि पीछे से पानी बढ़ने पर बांध का जलस्तर न बढ़े।

फोटो तपोवन डैम की है, जहां धौलीगंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद काफी नुकसान पहुंचा है।

फोटो तपोवन डैम की है, जहां धौलीगंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद काफी नुकसान पहुंचा है।

उत्तराखंड की आपदा कब आई, कैसे आई और कितना नुकसान हुआ, 7 प्वाइंट में समझें…
1. ऋषिगंगा और धौलीगंगा में जल स्तर बढ़ा

चमोली के तपोवन इलाके में सुबह करीब 10:45 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जल स्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है इसीलिए उसका जल स्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए। इसके बाद आसपास के गांवों को खाली कराया गया।

2. ऋषिगंगा और NTPC प्रोजेक्ट तबाह

ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट पड़ता है। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गया है। यहां से करीब 15-20 मजदूर लापता हैं। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर BRO ब्रिज भी टूट गया। यहीं पर 6 चरवाहे और उनके मवेशी पानी में बह गए। यहां रेस्क्यू टीमें पहुंच चुकी हैं। इसके बाद ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जल स्तर बढ़ गया। पानी NTPC प्रोजेक्ट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोड़ने वाले दो झूला ब्रिज बह गए। NTPC प्रोजेक्ट तबाह हो गया और वहां काम करने वाले करीब 150 मजदूरों की जान चली गई। इसमें से 50 मजदूर ऐसे थे, जो यहां बन रही सुरंग में फंस गए थे। ये वहीं डूब गए।

3. अब तक 10 शव बरामद किए गए
NTPC की सुरंग से 16-17 मजदूरों को बचाया गया है। यहां अब तक 9-10 शव बरामद किए गए हैं। अभी यहां करीब 20 वर्कर्स के फंसे होने की आशंका है। रेस्क्यू टीमें अभी भी यहां ऑपरेशन चला रही हैं।

4. रेस्क्यू में लगी आर्मी और एयर फोर्स
SDRF, NDRF, ITBP के अलावा आर्मी ने भी अपने 600 जवान चमोली भेजे हैं। इसके अलावा वायुसेना ने Mi-17 और ध्रुव समेत तीन हेलिकॉप्टर रेस्क्यू मिशन पर भेजे हैं। वायुसेना ने कहा कि जरूरत पड़ने पर और एयरक्राफ्ट भेजे जाएंगे।

ग्लेशियर फटने के बाद धौलीगंगा का जल स्तर इस तरह बढ़ा। किनारे के कई घर पानी में बह गए।

ग्लेशियर फटने के बाद धौलीगंगा का जल स्तर इस तरह बढ़ा। किनारे के कई घर पानी में बह गए।

5. PM की नजर, CM चमोली पहुंचे
हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की और हर मदद का भरोसा दिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद चमोली पहुंच चुके हैं।

6. हेल्पलाइन नंबर जारी, अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनता से अपील की है कि वो अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 1905, 1070 और 9557444486 जारी किए हैं। सरकार ने अपील की है कि इस घटना के बारे में पुराने वीडियो सर्कुलेट कर अफवाह न फैलाएं। हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है और इसलिए वहां अलर्ट जारी किया गया है।

  • ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भी इस आपदा में काफी नुकसान पहुंचा है।

7. क्या खतरा अभी भी है?
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसे शहरों में अलर्ट जारी किया गया है। बिजनौर, कन्नौज, फतेहगढ़, प्रयागराज, कानपुर, मिर्जापुर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर और वाराणसी जैसे कई जिलों में अधिकारी लगातार नजर रख रहे हैं।

जून 2013 में आई आपदा में 4 हजार से ज्यादा की जान गई थी
16-17 जून 2013 को बादल फटने और इसके बाद ग्लेशियर टूटने से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मची थी। इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 मकानों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा होटल ध्वस्त हो गए। आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।

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