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ट्रकों के टायरों का बोझ नहीं झेल पा रहा एक्सप्रेस हाइवे

बीकानेर. बीकानेर. डेढ़ महीने पहले शुरू किए अमृतसर-जामनगर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे की सड़क ट्रकों का बोझ नहीं सह पा रही है। खासकर भारी और मालवाहक वाहनों के लिए बने इस हाइवे की सड़क ट्रकों के टायरों की रगड़ के चलते उखड़ रही है। जहां कोई ट्रक ब्रेक लगाता है, डामर की परत उखड़ जाती है और ग्रिट बाहर निकलते ही गड्ढा बन जाता है। पत्रिका ने नोखा क्षेत्र से लेकर अर्जुनसर क्षेत्र तक के ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे की पड़ताल की, तो पाया कि जगह-जगह सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है। अभी इस सड़क ने बारिश का एक पूरा सीजन भी नहीं झेला है। फिर भी नई बनी सड़क की चंद दिनों बाद ही ऐसी हालत देखकर इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही इस पर सुरक्षित, सुगम और तेज यात्रा की परिकल्पना को गहरा झटका लगा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 8 जुलाई को अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस वे के राजस्थान में पड़ने वाले हनुमानगढ़ से जालौर तक के 502 किलोमीटर हिस्से का लोकार्पण किया था। एक्सप्रेस वे की प्रति एक किलोमीटर सड़क पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह सिक्स लेन हाइवे है। एक तरफ केवल एक दिशा में वाहन चलते हैं। दूसरी तरफ विपरीत दिशा में। वाहनों की गति 100 किलोमीटर तक रखी गई है। इसका आर्थिक कॉरिडोर के तहत निर्माण के चलते सड़क को भारी से भारी वाहनों के आवागमन को झेलने की क्षमता का बनाया होने का दावा किया जाता है। परन्तु जिस तरह साधारण ओवरलोड ट्रकों से सड़क बैठने लग गई। उससे नहीं लगता कि बड़े ट्रोलों के लगातार गुजरने पर ज्यादा दिन सड़क टिक पाएगी।

आंखों देखा हाल…

पांचू के पास इंटरचेंज से पत्रिका टीम इस हाइवे पर चढ़ी। देशनोक, बीकानेर-जयपुर मार्ग क्रॉसिंग, लूणकरनसर एरिया, महाजन और अर्जुनसर के आगे जैतपुर इंटरचेंज तक के हालात को देखा। इसमें देशनोक और पांचू के बीच सड़क भारी वाहनों से धंसी हुई है। राशिसर और देसलसर गांव के बीच सड़क की ग्रिट और डामर उखड़ा हुआ है। इसी तरह के हालात बीकानेर-जयपुर मार्ग क्रॉसिंग के आस-पास, लूणकरनसर और महाजन-अर्जुनसर क्षेत्र में हैं। सबसे ज्यादा सड़क लूणकरनसर और महाजन क्षेत्र में क्षतिग्रस्त हुई है। पांचू से जैतपुर तक करीब 175 किलोमीटर की सड़क में 50 से ज्यादा जगह पर ग्रिट उखड़ी हुई और क्षतिग्रस्त मिली।

निर्माण में लोचा…

पीडब्लयूडी के एक इंजीनियर के मुताबिक, इस सड़क के निर्माण में कच्ची गिट्टी (ग्रिट) का उपयोग किया होने की आशंका है। जबकि पक्की ग्रिट रणधीसर, गोपालपुरा से काले रंग की मिलती है, उसका उपयोग किया जाना चाहिए था। सारूड़ा, भोजास और श्रीबालाजी से कच्ची ग्रिट लाकर सड़क बनाते समय डाली होने की आशंका है, जो भारी वाहनों का वजन झेल नहीं पा रही है और बैठ रही है। यह सस्ती तथा नजदीक मिलने से ठेकेदार ने लालच में शायद इसका उपयोग किया। दूसरी वजह बालू मिट्टी हो सकती है। सड़क समतल धरातल से करीब 20-25 फीट मिट्टी से भर्ती कर उस पर बनाई गई है। ठेकेदार ने आस-पास के खेतों से बालू मिट़्टी उठाकर भर्ती की लगती है। बालू मिट्टी की अच्छी से घोटाई नहीं की होने से अब सड़क बैठ रही है। नियमानुसार मिट्टी की जांच के बाद जमने वाली और मजबूत मिट्टी का उपयोग ही किया जाना चाहिए था। बालू मिट्टी का नहीं।