जींद। यहां के कंडेला गांव में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और केन्द्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभी तक तो किसानों ने सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी की बात कही है, अगर गद्दी वापसी की बात की तो सरकार क्या करेगी? टिकैत ने किसानों से अपील की कि शांतिपूर्वक आंदोलन चलाएं। उन्होंने कहा कि किसान नंगे पांव खेत में जाएं और अपने खेत की मिट्टी शरीर पर लगाएं।
इसके बाद किसान के मन में जमीन को बेचने का ख्याल तक नहीं आएगा। टिकैत ने कहा कि युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते। सरकार से बातचीत के लिए जो 40 किसानों की कमेटी बनाई गई है, उसके सदस्य नहीं बदले जाएंगे। कमेटी भी वही रहेगी और इसके सदस्य भी वही रहेंगे। आॅफिस भी पहले जहां था, वहीं रहेगा। उन्होंने यह भी आह्वान किया कि अभी किसान दिल्ली कूच न करें, अपनी तैयारी कर के रखें, जब जरूरत होगी, तब बुला लिया जाएगा। टिकैत ने कहा कि उस दिन उन्होंने पानी मांगा, क्योंकि पानी ठंडा होता है, अगर वह उस दिन आग मांग लेते तो दिल्ली और सरकार क्या करती।
टिकैत ने कहा कि जब-जब राजा डरता है तब-तब किलेबंदी करता है। दिल्ली में किल्लें लगाई जा रही है। हम वो अपने खेतों में भी लगाते हैं। सभा में यह भी कहा गया कि किसान इन कीलों व अन्य अवरोधों को हटा देंगे। टिकैत ने पहले महापंचायत में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी दी और हरियाणा के किसानों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने की अपील की।
किसानों को भाकियू नेता गुरनाम चढ़ूनी, बलवीर राजेवाला ने भी संबोधित किया। महापंचायत में कृषि कानूनों और किसानों के प्रति सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई गई। महापंचायत में पांच प्रस्ताव पारित किए गए। इस महापंचायत में 50 से ज्यादा खापों के हजारों किसानों ने भाग लिया। सुबह 10 बजे ही स्टेडियम में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।