नई दिल्ली
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को देखते हुए सरकार ऑटो सेक्टर में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार इस बारे में सरकार अगले 8 से 10 दिनों में फैसला ले सकती है। गडकरी ने रोटरी जिला सम्मेलन 2020-21 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।
इससे आम अदमी को मिल सकती है बड़ी राहत
नितिन गडकरी ने कहा कि वैकल्पिक ईधन एथेनॉल की कीमत 60-62 रुपए प्रति लीटर है जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर के पार निकल गई है। उन्होंने कहा, “मैं परिवहन मंत्री हूं, मैं उद्योग के लिए आदेश जारी करने जा रहा हूं कि केवल पेट्रोल से चलने वाले इंजन नहीं होंगे, हमारे पास फ्लेक्स-फ्यूल इंजन होंगे। लोगों के पास विकल्प होगा कि वे पेट्रोल या एथेनॉल में किसका इस्तेमाल करें।”
यहां समझें क्या होता है फ्लेक्स फ्यूल इंजन?
इस इंजन की खास बात ये होती है कि इसमें दो तरह के फ्यूल डाले जा सकते हैं। ये सामान्य इंटर्नल कम्ब्यूशन इंजन (ICE) इंजन जैसा ही होता है, लेकिन ये एक या एक से अधिक तरह के फ्यूल से चल सकता है। कई मामलों में इस इंजन को मिक्स फ्यूल का भी इस्तेमाल किया जाता है। यानी आप इसमें दो तरह के फ्यूल डाल सकते हैं और यह इंजन अपने हिसाब से इसे काम में ले लेता है।
इन देशों में हो रहा फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का उत्पादन
गडकरी के मुताबिक, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स-फ्यूल इंजन बना रही हैं। इससे ग्राहकों को 100% पेट्रोल या 100% बायो-इथेनॉल के इस्तेमाल का ऑप्शन उपलब्ध कराया जा रहा है।
2023 तक 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य
सरकार ने अगले दो साल में पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) का लक्ष्य रखा है। इससे देश को महंगे कच्चे तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार तेल कंपनियां भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के हिसाब से 20% एथेनॉल के मिश्रण वाला पेट्रोल बेचेंगी। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगा। मौजूदा वक्त में पेट्रोल में 8.5% एथेनॉल मिलाया जाता है।
एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है। एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन गन्ने से होता है।
इससे लोगों को जल्दी राहत देना संभव नहीं
सीनियर इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार कहती हैं कि सरकार को इस समय ऐसे उपायों के बारे में सोचना चाहिए, जिससे लोगों को महंगाई से तुरंत राहत मिल सके। लेकिन फ्लेक्स-फ्यूल इंजन जैसे उपायों को लागू करना आसान नहीं है और इसमें काफी समय लगेगा। इसके अलावा इससे नए वाहनों की लागत और कीमतों पर भी असर होगा। ऐसे में आम लोगों के लिए यह कब और कितना प्रभावी होगा इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।
इलेक्ट्रिक और CNG वीकल पर ही अभी भरोसा नहीं कर पा रहे लोग
JMK रिसर्च एंड एनालिटिक्स के मुताबिक टू-व्हीलर मार्केट में इलेक्ट्रिक व्हीकल की हिस्सेदारी 2020-21 में 0.8% रही जो बेहद कम है। इससे पता चलता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में लोग कम दिलचस्पी ले रहे हैं। सबसे बड़ी वजह इनका महंगा होना है। देश में सीएनजी स्टेशन कम होने के कारण CNG गाड़ियों की डिमांड भी उम्मीद के मुताबिक नहीं है।
बृंदा जागीरदार कहती हैं कि सरकार अभी भी इलेक्ट्रिक और CNG व्हीकल के लिए सुचारु इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं कर पाई है। जब तक सरकार चार्जिंग और सीएनजी स्टेशन नहीं स्थापित करेगी तब तक लोग इन्हें खरीदने से बचते रहेंगे। अगर सरकार ऐसा कर पाती है तो फ्लेक्स-फ्यूल इंजन जैसी नई चीजों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सरकार को पहले इलेक्ट्रिक और CNG व्हीकल इसे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए।
टैक्स में कटौती करके आम जनता को मिल सकती है राहत
बृंदा जागीरदार कहती हैं कि केंद्र को राज्य सरकारों के साथ पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स में कटौती करने पर विचार करना चाहिए। इसके जरिए आम आदमी को तुरंत राहत मिल सकती है,जो कोरोना महामारी के कारण पहले ही पैसों की समस्या से जूझ रहे हैं।
टैक्स के बाद 3 गुना महंगे हो जाते हैं पेट्रोल-डीजल
देश में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइस तो अभी 33 रुपए के करीब ही है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगने वाले टैक्स से इनकी कीमतें 100 रुपए के पार पहुंच गई हैं।
केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं। इससे पेट्रोल-डीजल का दाम बेस प्राइज से 3 गुना तक बढ़ गया है। भारत में पेट्रोल पर 54 और डीजल पर 44 रुपए से भी ज्यादा टैक्स वसूला जाता है।
पिछले साल ही केंद्र सरकार ने बढ़ाया था 10 रुपए टैक्स
लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावटने के बावजूद केंद्र सरकार की इनसे होने वाली कमाई बढ़ी है। केंद्र सरकार ने पिछले साल मई में एक्साइज ड्यूटी 10 रुपए तक बढ़ाई थी। उस वक्त केंद्र ने एक लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 22.98 रुपए से 32.98 रुपए और डीजल पर 18.83 रुपए से 31.83 रुपए कर दी थी।
पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाकर भी आम आदमी को दी जा सकती है राहत
पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाकर भी आम आदमी को बड़ी राहत दी जा सकती है। हालांकि सरकार ऐसा करने के मूड में नहीं है। ऐसा होता है तो इससे सरकार की टैक्स से होने वाली कमाई घट जाएगी। अगर इस समय पेट्रोल-डीजल पर GST लागू होता तो कच्चे तेल के दाम के हिसाब से पेट्रोल 84 और डीजल 77 रुपए प्रति लीटर में मिलता। अभी देश के सबसे राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 108 रुपए और डीजल 101 रुपए लीटर बिक रहा है। ऐसे में यहां लोगों को पेट्रोल-डीजल पर 25-25 रुपए तक की राहत मिल सकती है।
सरकार की कमाई बढ़ी
इससे केंद्र सरकार ने 2020-21 के 9 महीने में ही यानी अप्रैल से दिसंबर तक ही 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमाई की, जो 2019-20 की तुलना में करीब 6% ज्यादा है। यानी जहां कोरोना काल में लोगों की कमाई घटी है वहीं सरकार की बढ़ी है।
13 राज्यों में पेट्रोल 100 के पार निकला
देश के 13 राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के सभी जिलों में पेट्रोल 100 रुपए पर पहुंचा गया है। वहीं बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, उड़ीसा, चंडीगढ़, तमिलनाडु और लद्दाख में भी कई जगहों पर पेट्रोल 100 रुपए लीटर के पार निकल गया है।