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सुसाइड ‘फैक्ट्री’ बन रहा कोटा

कोटा (राजस्थान)। झारखंड की 16 वर्षीय एनईईटी अभ्यर्थी ने राजस्थान जिले के विज्ञान नगर इलाके में अपने छात्रावास के कमरे में कथित तौर पर फांसी लगा ली। इस घटना की जानकारी पुलिस ने बुधवार को दी।
उन्होंने बताया कि ऋचा सिन्हा, जो राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की तैयारी कर रही थी, मंगलवार देर रात अपने छात्रावास के कमरे में लटकी हुई पाई गई।
विज्ञान नगर पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक के सहायक अमर चंद ने कहा, पुलिस को मंगलवार रात करीब 10.30 बजे सिन्हा की मौत की जानकारी उस निजी अस्पताल से मिली, जहां उन्हें ले जाया गया था।
झारखंड के रांची की रहने वाले सिन्हा 11वीं कक्षा की छात्रा थी और उन्होंने शहर के एक कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया था। उन्होंने कहा, वह इस साल की शुरूआत में कोटा आई थीं।
चंद ने कहा कि उनके कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है और पुलिस आत्महत्या के पीछे के कारण की जांच कर रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए एमबीएस अस्पताल भेजा गया है।
कोटा में इस साल किसी कोचिंग संस्थान के छात्र द्वारा आत्महत्या का यह 23वां मामला है। पिछले साल कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे पंद्रह छात्रों ने आत्महत्या कर ली।
इस महीने में हुई सबसे ज्यादा मौत
बीते 8 महीने में कोटा की कोचिंग संस्थाओं में वढ-बिहार समेत कई राज्यों से पढ़ने आए 23 बच्चों ने पढ़ाई के बोझ में दबकर जान दे दी है। सबसे ज्यादा 7 आत्महत्या के मामले अगस्त और जून महीने में सामने आए हैं। वहीं, जुलाई में 2 और मई में 5 आत्महत्या के मामले आए हैं।
पंखे से लटककर और हॉस्टल से कूदकर दे रहे जान
कोटा के कई हॉस्टलों से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले पंखे से लटककर जान देने के आए हैं। कई बच्चों ने तो हॉस्टल की छत से कूदकर ही जान दे दी। सबसे चौंकाने वाला मामला 14 जून का था। जब महाराष्ट्र से आए माता-पिता से मिलने के तुरंत बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी।
क्यों आत्महत्या कर रहे हैं बच्चे?
कोटो में छात्रों द्वारा लगातार आत्महत्या करने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसा करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है। इसके पीछे बच्चों के माता-पिता को भी वजह माना जाता है।
कई विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि माता-पिता बच्चों को खुद किसी से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को बोलते हैं।
कई बार बच्चों में आपस में दोस्ती नहीं होती है जिसके कारण वो एक दूसरे से कोई भी बात शेयर नहीं कर पाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं।
सालों से तैयारी करने और कोचिंग संस्थाओं में लाखों की फीस भरने के बावजूद जब बच्चों का सिलेक्शन नहीं होता है, तब भी कई बच्चे सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं।
8 महीने में 24 छात्रों ने की आत्यहत्या
कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के मामले में कमी नहीं आ रही है। हर दिन कोटा से छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। छात्रों के माता-पिता में भी अब उन्हें कोटा भेजने से डर रहे हैं। कई छात्रों के माता-पिता उनके साथ कोटा में ही रहने लगे हैं, जिससे वह उनका ध्यान रख सकें। वहीं, अब तक बीते 8 महीनों में कुल 24 बच्चों ने आत्महत्या कर ली है।