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1971 के युद्ध में किया बेहतर शौर्य प्रदर्शन, 77वीं वाहिनी तभी कहलाती है वीर चक्र पलटन

श्रीकरणपुर. सीमा सुरक्षा बल की 77वीं वाहिनी (वीर चक्र पलटन) ने अपना 57वां स्थापना दिवस शुक्रवार को समारोहपूर्वक मनाया। वाहिनी मुख्यालय पर हुए कार्यक्रम में बल के जवानों व स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। वहीं, बटालियन के शहीदों को श्रद्धाजंलि भी दी गई।कार्यक्रम का आगाज केक काटकर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता वाहिनी के समादेष्टा देस राज ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बीएसएफ प्रतिबद्ध है। सर्दी, गर्मी, आंधी, तूफान, बरसात व अन्य कठिन परिस्थितियों के बावजूद बल के जवान सरहद पर हमेशा मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। उन्होंने बटालियन को वीर चक्र मिलने की शौर्य गाथा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में बेहतर शौर्य प्रदर्शन के चलते बटालियन को वीर चक्र पुरस्कार दिया गया था। द्वितीय कमान अधिकारी अशोक कुमार, उपसमादेष्टा राकेश मीणा, गोपाल कृष्ण, सूबेदार मेजर पी.भट्टाचार्य व एसआइ जितेंद्र सिंह ने भी विचार रखे। विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त एएसआइ मेजर सिंह, पीसीसी प्रवक्ता श्याम वर्मा, जिला परिषद डायरेक्टर दुलाराम इंदलिया, सरपंच कुलविंद्रसिंह संधू, संदीप गिल मौड़ां, जगसीर सिंह व बीएसएफ मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक पलविंद्र सिंह आदि भी कार्यक्रम में शामिल हुए। शारीरिक व मानसिक दक्षता के साथ अन्य टास्क में बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों और जवानों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में वाहिनी मुख्यालय व विभिन्न सीमा चौकियों पर तैनात अधिकारी, जवान व उनके परिवार भी शमिल हुए।…और जवानों के साथ झूमे कप्तानकार्यक्रम समापन से पहले वहां जवान जंगीर सिंह के नेतृत्व में भांगड़ा पेश किया गया। डीजे पर चल रहे पंजाबी गीत की लय सुनकर समादेष्टा देस राज खुद को रोक नहीं पाए। समादेष्टा के साथ मौजूद अन्य अधिकारियों व जवानों ने भी डांस किया। इससे पहले सीमा प्रहरियों व बीएसएफ स्कूल के बच्चों ने पंजाबी, राजस्थानी, हरियाणवी, बंगाली व आसामी गीतों पर नृत्य पेश किया। प्रतिभागी जवानों को पुरस्कृत किया गया। मौके पर शस्त्र प्रदर्शनी लगाकर अतिथियों को हथियारों के संचालन की जानकारी दी गई।