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चीनी वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला प्रयोग:नर चूहों ने दिया बच्चों को जन्म, 21 दिनों में इनमें चूहों के बच्चे विकसित हुए; सभी बच्चे स्वस्थ रहे

चीनी वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला प्रयोग:नर चूहों ने दिया बच्चों को जन्म, 21 दिनों में इनमें चूहों के बच्चे विकसित हुए; सभी बच्चे स्वस्थ रहे

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चीन में नर चूहों ने बच्चों को जन्म दिया है। यह प्रयोग शंघाई की नेवल मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। वैज्ञानिकों ने इसे रैट मॉडल नाम दिया है। हालांकि, चीनी वैज्ञानिकों के इस प्रयोग की आलोचना भी की जा रही है। नर चूहों ने ऐसे बच्चे पैदा किएचीनी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च को चार भाग में पूरा किया है। वैज्ञानिकों ने सबसे पहले नर और मादा चूहे को अगल-बगल रखकर स्किन में टांका लगाकर जोड़ा। फिर मादा चूहों की बच्चेदानी को बाहर निकाला। इसे नर चूहों के शरीर में ट्रांसप्लांट किया। फिर नर चूहों को प्रेग्नेंट किया गया और सिजेरियन की मदद से डिलीवरी कराई गई। 21 दिनों में विकसित हुआ भ्रूणवैज्ञानिकों का कहना है, चूहों को प्रेग्नेंट करने के बाद अगले 21.5 दिनों तक इनमें भ्रूण विकसित हुए। समय पूरा होने पर इनकी सर्जरी की। रिसर्च में सामने आया कि जन्मे सभी नर बच्चे अगले तीन महीने तक जिंदा रह स...
प्लास्टिक वेस्ट अब बेकार नहीं:दुनिया में पहली बार प्लास्टिक के कचरे से बनाया गया वनीला फ्लेवर, इसका इस्तेमाल फूड और फार्मा इंडस्ट्री में हो सकेगा

प्लास्टिक वेस्ट अब बेकार नहीं:दुनिया में पहली बार प्लास्टिक के कचरे से बनाया गया वनीला फ्लेवर, इसका इस्तेमाल फूड और फार्मा इंडस्ट्री में हो सकेगा

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वैज्ञानिकों ने पहली बार प्लास्टिक के कचरे से आइसक्रीम में मिलाया जाने वाला वनीला फ्लेवर तैयार किया है। इसे तैयार करने में जेनेटिकली मोडिफाइड बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया है। प्लास्टिक को वनीला (वेनिलीन) में कन्वर्ट करने वाली एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जोएना सैडलर का कहना है, प्लास्टिक के कचरे से बहुमूल्य केमिकल बनाने का यह पहला उदाहरण है। प्लास्टिक कचरा अब बेकार नहींएडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के स्टीफन वॉलेस का कहना है, हमारी रिसर्च उस सोच को चुनौती देती है जो मानते हैं प्लास्टिक का कचरा एक समस्या हैं। यह कार्बन का नया सोर्स है जिससे कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। वनीला फ्लेवर कैसे बना और यह कितने काम का है ग्रीन केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, सबसे पहले वैज्ञानिकों ने ई-कोली बैक्टीरिया के जीनोम में बदलाव किया। फिर प्लास्टिक से तैयार टेरिप्थेलिक एसिड को ब...
1,098 कैरेट का बेशकीमती तोहफा:अफ्रीका में मिला दुनिया का सबसे बड़ा हीरा, डायमंड कम्पनी ने राष्ट्रपति मोग्वेत्सी मसीसी को गिफ्ट किया तीसरा सबसे बड़ा हीरा

1,098 कैरेट का बेशकीमती तोहफा:अफ्रीका में मिला दुनिया का सबसे बड़ा हीरा, डायमंड कम्पनी ने राष्ट्रपति मोग्वेत्सी मसीसी को गिफ्ट किया तीसरा सबसे बड़ा हीरा

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अफ्रीका देश बोत्सवाना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हीरा मिला है। यह 1,098 कैरेट का है। देबस्वाना डायमंड कंपनी ने इस हीरे को राष्ट्रपति मोग्वेत्सी मसीसी को बतौर गिफ्ट दिया है। पिछले 50 साल के इतिहास में पहली बार इस डायमंड कम्पनी को इतना बड़ा हीरा मिला है। दुनियाभर में इस हीरे की चर्चा है। खास बात है कि इससे पहले मिले दुनिया के दोनों सबसे हीरे अफ्रीका में ही पाए गए हैं। दुनिया का सबसे बड़ा हीरा 3,106 कैरेट काअब तक 3,106 कैरेट का दुनिया का सबसे बड़ा हीरा 1905 में अफ्रीका में मिला था। इसका नाम क्यूलियन स्टोन रखा गया था। वहीं, 1109 कैरेट का दूसरा सबसे बड़ा हीरा 2015 में बोत्सवाना में ही पाया गया था, जिसका नाम लेसेडी-ला-रोना था। हीरे का नामकरण बाकीदेबस्वाना डायमंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर लिनेट आर्मस्ट्रॉग का कहना है, शुरुआती जांच में पता चला कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हीरा है। ख...
अमेरिकी वैज्ञानिकों का प्रयोग:स्मार्टफोन के कैमरे से देख सकेंगे मुंह के बैक्टीरिया, घर पर ही जुबान को स्कैन करें और देखें बैक्टीरिया है या नहीं

अमेरिकी वैज्ञानिकों का प्रयोग:स्मार्टफोन के कैमरे से देख सकेंगे मुंह के बैक्टीरिया, घर पर ही जुबान को स्कैन करें और देखें बैक्टीरिया है या नहीं

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अब मोबाइल फोन के कैमरे से भी बैक्टीरिया का पता लगाया जा सकता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मोबाइल कैमरे में बदलाव किया और इसे एलईडी ब्लैक लाइट से जोड़ा। इस कैमरे से इंसान की जुबान को स्कैन किया गया। इस दौरान दांतों के बैक्टीरिया चमकते हुए नजर आए। इसकी मदद से एक्ने के बैक्टीरिया भी देखे जा सकते हैं। घर पर कर सकेंगे जांचइसे तैयार करने वाली वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, स्मार्टफोन दुनियाभर में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। यह लोगों के बजट में हैं और उनके लिए बैक्टीरिया की जांच करना आसान है। इस डिवाइस की मदद से घर पर लोग जान सकेंगे बैक्टीरिया है या नहीं। शोधकर्ता डॉ. रुईकैंन्ग वैंग का कहना है, स्किन और मुंह के बैक्टीरिया हमारे स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। दांत और मुंह के मसूढ़ों के बैक्टीरिया घाव को भरने की रफ्तार को धीमा करते हैं। इस तरह चमकते हुए दिखते हैं बैक्टीरिया। ...
अमेरिकी वैज्ञानिकों का प्रयोग:वैज्ञानिकों ने बनाया बिना एसी के घर ठंडा रखने वाला ‘कूलिंग पेपर’, इससे कवर हुई बिल्डिंग्स और घरों को नहीं होगी कूलिंग सिस्टम की जरूरत

अमेरिकी वैज्ञानिकों का प्रयोग:वैज्ञानिकों ने बनाया बिना एसी के घर ठंडा रखने वाला ‘कूलिंग पेपर’, इससे कवर हुई बिल्डिंग्स और घरों को नहीं होगी कूलिंग सिस्टम की जरूरत

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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसा खास तरह का पेपर तैयार किया है। यह बिना एसी के घर को ठंडा रखने का काम करेगा। वैज्ञानिकों ने इसे 'कूलिंग पेपर' का नाम दिया है। इसे तैयार करने वाली नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है, कूलिंग पेपर से घर और बिल्डिंग कवर की जाएगी। ऐसी बिल्डिंग्स और घरों को ठंडा रखने के लिए किसी कूलिंग सिस्टम की जरूरत नहीं होगी। ऐसे काम करता है कूलिंग पेपरशोधकर्ता यी झेंग कहते हैं, कूलिंग पेपर का रंग हल्का होता है। यह घरों पर पड़ने वाली सूरज की तेज किरणों को परावर्तित करता है। इसके अलावा यह घर और बिल्डिंग के अंदर इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट, कुकिंग और शरीर की गर्मी को खींचते हैं। फिर इस गर्मी को घर और बिल्डिंग के बाहर ट्रांसफर करता है। झेंग कहते हैं, यह खास तरह का पेपर है जिसमें बेहद बरीक छिद्र हैं। यह माइक्रोफायबर से बना है जो गर्मी को एब्जॉर्ब करके माहौल को ठंडा रखता है...
मकड़ियों की चौंकाने वाली तस्वीरें:ऑस्ट्रेलिया के बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ियों ने जाल की चादर डाली, पानी से बचने के लिए दूर तक बड़ा और ट्रांसपेरेंट जाल बनाया

मकड़ियों की चौंकाने वाली तस्वीरें:ऑस्ट्रेलिया के बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ियों ने जाल की चादर डाली, पानी से बचने के लिए दूर तक बड़ा और ट्रांसपेरेंट जाल बनाया

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ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य के गिप्सलैंड कस्बे में आई बाढ़ के बाद एक चौंकाने वाला नजारा दिखा है। बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ी के जाल की चादर फैली हुई है। यह जाल काफी बड़ा और ट्रांसपेरेंट है। यहां के कई इलाकों में बाढ़ आने के बाद मकड़ियों ने पेड़, खम्भे और सड़क किनारे ऊंचाई पर लगे होर्डिंग बोर्ड को अपना आशियाना बना लिया है। मकड़ियों के इस व्यवहार को बैलूनिंग कहते हैंबाढ़ के बाद गिप्सलैंड कस्बे में बिजली व्यवस्था ध्वस्त है और कई इमारतें डैमेज हो चुकी हैं। जमीन पर पानी का स्तर बढ़ने के कारण यहां की मकड़ियां जाल बुनकर ऊंचाई तक पहुंचने की कोशिश में हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मकड़ियां खुद को बचाने के लिए बड़े स्तर पर जाल बुन रही हैं। खुद बचाने की इस तकनीक को वैज्ञानिक भाषा में 'बैलूनिंग' कहते हैं। इसकी मदद से मकड़ी ऊंचाई तक पहुंच जाती है। इंसानों को इन मकड़ियों से खतरा ...
नींद टूटने की वजह म्यूजिक तो नहीं:सोने से पहले गाना सुनने की आदत नींद में खलल पैदा करती है, शोधकर्ताओं का दावा; बंद होने के बाद भी गाने दिमाग में घूमते रहते हैं

नींद टूटने की वजह म्यूजिक तो नहीं:सोने से पहले गाना सुनने की आदत नींद में खलल पैदा करती है, शोधकर्ताओं का दावा; बंद होने के बाद भी गाने दिमाग में घूमते रहते हैं

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वाशिंगटन ज्यादातर लोग रात में सोने से पहले म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। नई रिसर्च कहती है, ऐसे लोगों को नींद न आने या नींद टूटने की शिकायत हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है, जब हम रात में गाने सुनते हैं तो ये दिमाग में घूमते रहते हैं। गाना बंद होने के बाद भी दिमाग में इसके चलने का अहसास होता है। यह स्थिति नींद में बाधा पैदा करती है या आधी रात को नींद टूटने की वजह बनती है। ऐसे आया रिसर्च का ख्यालरिसर्च करने वाली अमेरिका की बेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता माइकल स्कुलिन का कहना है, एक दिन रात में एक गाना उनके दिमाग में अचानक घूमने लगा, इसके कारण आधी रात को उनकी नींद टूट गई। उन्होंने महसूस किया कि एक गाना आपके नींद की प्रक्रिया को डिस्टर्ब कर सकता है। इसी दौरान तय किया कि गाना सुनने और नींद के बीच कनेक्शन को समझने की कोशिश करेंगे। 209 लोगों पर हुई रिसर्चशोधकर्ताओं ने 209 लोगों पर रिसर्च...
कोरोनाकाल का पहला मामला:मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम का मामला, बुखार और डायरिया के बाद भर्ती कराया गया; ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं

कोरोनाकाल का पहला मामला:मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम का मामला, बुखार और डायरिया के बाद भर्ती कराया गया; ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं

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कोरोना महामारी के बीच मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) का पहला मामला सामने आया है। बच्चा हाल ही में परिवार के साथ दिल्ली से लौटा था। मिजोरम के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है, बच्चे का इलाज आइजोल के एक अस्पताल में चल रहा है। स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. पछाआउ लालमलस्वामा के मुताबिक, बच्चे में डायरिया और बुखार के लक्षण मिलने पर 6 जून को उसे सिनॉड हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। स्टेट नोडल ऑफिसर का कहना है, जांच के दौरान बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं। यह एक संदिग्ध मामला है।बच्चे और उसके परिवार के लोगों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है। लक्षणों में कमी और रिकवरी तेज हुईबच्चे का इलाज करने वाले पीडियाट्रिक कन्सल्टेंट डॉ. जॉन मलस्वमा का कहना है, बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है। उसने चलना-फिरना और खाना-पीना शुरू कर दिया ह...
ब्रिटिश वैज्ञानिकों का ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन:कमरे में संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा कोविड अलार्म, RT-PCR और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीक

ब्रिटिश वैज्ञानिकों का ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन:कमरे में संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा कोविड अलार्म, RT-PCR और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीक

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ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को एक डिवाइस बनाने में सफलता हासिल की है, जो महज 15 मिनट में ही कमरे में कोरोना संक्रमण का पता लगा लेता है। बड़े रूम में 30 मिनट लगते हैं। कोरोना संक्रमितों की जानकारी देने वाली यह डिवाइस आने वाले समय में विमानों के केबिन, क्लासरूम, केयर सेंटरों, घरों और ऑफिस में स्क्रीनिंग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसका नाम कोविड अलार्म रखा गया है। यह डिवाइस स्मोक अलार्म से थोड़ा बड़ा है। नतीजे 98% से 100% तक सटीकलंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (LSHTM) और डरहम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च के शुरुआती नतीजे उम्मीद जगाने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने टेस्टिंग के दौरान दिखाया है कि डिवाइस में नतीजों की सटीकता का स्तर 98-100 फीसदी तक है। यह कोरोना के RT-PCR और एंटीजन टेस्ट की तुलना में कहीं ज्यादा सटीकता से कोरोना संक्रमितों के बारे में जानकारी दे रहा है। ...
प्रोस्थेटिक लेग के साथ उड़ान भरेगा ‘मिया’:दुनिया में पहली बार किसी गिद्ध को मिले कृत्रिम पैर, सर्जरी के 6 हफ्ते के बाद चलना-फिरना शुरू किया; भारी शरीर के बावजूद भरी उड़ान

प्रोस्थेटिक लेग के साथ उड़ान भरेगा ‘मिया’:दुनिया में पहली बार किसी गिद्ध को मिले कृत्रिम पैर, सर्जरी के 6 हफ्ते के बाद चलना-फिरना शुरू किया; भारी शरीर के बावजूद भरी उड़ान

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पहली बार एक गिद्ध को कृत्रिम पैर लगाए हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। मादा गिद्ध मिया का पैर बुरी तरह से डैमेज होने के बाद ऑस्ट्रिया के आउल एंड बर्ड ऑफ प्रे-सेंचुरी लाया गया था​​​। सेंचुरी में डॉक्टर्स की एक टीम ने उसे कृत्रिम पैर लगाया। डॉक्टर्स ने उसके लिए खास तरह का प्रोस्थेटिक लेग तैयार किया। अब वह दूसरे गिद्ध की तरह उड़ सकता है। पूरी तरह से रिकवर होने के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा। मिया की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की टीम। गिद्ध जैसे भारी पक्षी का पैर बनाना मुश्किलमेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के एक्सपर्ट्स ने मिया के लिए स्थायी कृत्रिम पैर तैयार किए। एक्सपर्ट्स का कहना है, छोटी चिड़िया में कृत्रिम पैर लगाना और उनका सर्वाइव करना आसान होता है क्योंकि ऐसे पक्षी हल्के होते हैं। गिद्ध के मामले यह आसान नहीं है। कृत्रिम पैर तैयार करते समय यह ध्यान रखना पड़ा कि गिद्ध अपने शरीर के ...