कई बार जब हम होम लोन लेने जाते हैं तो कमजोर क्रेडिट स्कोर (सिबिल स्कोर) या नियमित आय न होने के कारण बैंक लोन देने से मना कर देता है। इसके अलावा ये भी देखा जाता है कि इन कारणों से आपको उतना लोन नहीं मिल पाता है जितने की आपको जरूरत है। ऐसे में हम आपको आज कुछ ऐसी बातों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आपको आसानी से लोन मिल सकेगा।
को-एप्लीकेट जोड़ें
को-एप्लीकेंट जोड़ने से कर्ज देने वाली संस्थान का जोखिम कम हो जाता है। यह कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिनकी स्थायी इनकम हो और अच्छा क्रेडिट स्कोर हो। लोन की रकम तब तक नहीं बढ़ेगी जब तक वे अच्छी कमाई वाले को-एप्लीकेंट को नहीं जोड़ते हैं। को-एप्लीकेंट को जोड़ने से लोन अप्रूव होने के चांस बढ़ जाते हैं।
कम रकम के लिए करें अप्लाई
कम लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) रेशियो आपके लिए लोन लेना आसान कर सकता है। इसका मतलब है कि घर खरीदने के लिए आपको अपना कॉन्ट्रिब्यूशन ज्यादा रखना होगा। कम एलटीवी रेशियो चुनने से प्रॉपर्टी में खरीदार का कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ जाता है। इससे बैंक का जोखिम कम होता है। वहीं, कम ईएमआई से लोन की अफोर्डेबलिटी बढ़ती है। इससे आपको लोन मिलने की चांस बढ़ जाएंगे।
सिक्योर्ड लोन ले सकते हैं
जो लोन किसी एसेट की गारंटी पर लिया जाता है, उसे सिक्योर्ड लोन कहते हैं। कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी, गोल्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), शेयर, म्यूचुअल फंड या PPF आदि जैसे एसेट्स पर लोन ले सकता है। अनसिक्योर्ड लोन के मुकाबले सिक्योर्ड लोन के लिए नियम थोड़े नरम होते हैं।
संबंधित बैंक में लोन के लिए करें आवेदन
अगर आपकी रेगुलर इनकम नहीं है या क्रेडिट स्कोर खराब है तो आपको इसी बैंक में लोन के लिए आवेदन करना चाहिए जहां आपका अकाउंट या फिक्स्ड डिपोजिट (FD) हो। अगर आप उसी बैंक से लोन ले लिए अप्लाई करते हैं तो लोन मिलना आसान हो सकता है।
NBFC में भी कर सकते हैं आवेदन
यदि आपको बैंक से लोन मिलने में परेशानी हो रही है तो NBFC में लोन के लिए आवेदन करना ठीक रहेगा। क्योंकि वे कम क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को भी लोन देती हैं। हालांकि NBFC द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा दी जाने वाली पेशकश की तुलना में अधिक होती हैं।
फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो का रखें ध्यान
जब हम बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) भी देखता है। इससे पता चलता है कि आप हर महीने लोन की कितने रुपए तक की किस्त दे सकते हैं। FOIR से पता चलता है कि आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का किराया, बीमा पॉलिसी और अन्य भुगतान मौजूदा आय का कितना फीसदी है। अगर लोन दाता को आपके ये सभी खर्च आपकी सैलरी के 50% तक लगते हैं तो वह आपकी लोन एप्लिकेशन को रिजेक्ट कर सकते है। इसीलिए यह ध्यान भी रखें की लोन की रकम इससे ज्यादा न हो।
