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मकड़ियों की चौंकाने वाली तस्वीरें:ऑस्ट्रेलिया के बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ियों ने जाल की चादर डाली, पानी से बचने के लिए दूर तक बड़ा और ट्रांसपेरेंट जाल बनाया

मकड़ियों की चौंकाने वाली तस्वीरें:ऑस्ट्रेलिया के बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ियों ने जाल की चादर डाली, पानी से बचने के लिए दूर तक बड़ा और ट्रांसपेरेंट जाल बनाया

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ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य के गिप्सलैंड कस्बे में आई बाढ़ के बाद एक चौंकाने वाला नजारा दिखा है। बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ी के जाल की चादर फैली हुई है। यह जाल काफी बड़ा और ट्रांसपेरेंट है। यहां के कई इलाकों में बाढ़ आने के बाद मकड़ियों ने पेड़, खम्भे और सड़क किनारे ऊंचाई पर लगे होर्डिंग बोर्ड को अपना आशियाना बना लिया है। मकड़ियों के इस व्यवहार को बैलूनिंग कहते हैंबाढ़ के बाद गिप्सलैंड कस्बे में बिजली व्यवस्था ध्वस्त है और कई इमारतें डैमेज हो चुकी हैं। जमीन पर पानी का स्तर बढ़ने के कारण यहां की मकड़ियां जाल बुनकर ऊंचाई तक पहुंचने की कोशिश में हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मकड़ियां खुद को बचाने के लिए बड़े स्तर पर जाल बुन रही हैं। खुद बचाने की इस तकनीक को वैज्ञानिक भाषा में 'बैलूनिंग' कहते हैं। इसकी मदद से मकड़ी ऊंचाई तक पहुंच जाती है। इंसानों को इन मकड़ियों से खतरा ...
नींद टूटने की वजह म्यूजिक तो नहीं:सोने से पहले गाना सुनने की आदत नींद में खलल पैदा करती है, शोधकर्ताओं का दावा; बंद होने के बाद भी गाने दिमाग में घूमते रहते हैं

नींद टूटने की वजह म्यूजिक तो नहीं:सोने से पहले गाना सुनने की आदत नींद में खलल पैदा करती है, शोधकर्ताओं का दावा; बंद होने के बाद भी गाने दिमाग में घूमते रहते हैं

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वाशिंगटन ज्यादातर लोग रात में सोने से पहले म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। नई रिसर्च कहती है, ऐसे लोगों को नींद न आने या नींद टूटने की शिकायत हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है, जब हम रात में गाने सुनते हैं तो ये दिमाग में घूमते रहते हैं। गाना बंद होने के बाद भी दिमाग में इसके चलने का अहसास होता है। यह स्थिति नींद में बाधा पैदा करती है या आधी रात को नींद टूटने की वजह बनती है। ऐसे आया रिसर्च का ख्यालरिसर्च करने वाली अमेरिका की बेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता माइकल स्कुलिन का कहना है, एक दिन रात में एक गाना उनके दिमाग में अचानक घूमने लगा, इसके कारण आधी रात को उनकी नींद टूट गई। उन्होंने महसूस किया कि एक गाना आपके नींद की प्रक्रिया को डिस्टर्ब कर सकता है। इसी दौरान तय किया कि गाना सुनने और नींद के बीच कनेक्शन को समझने की कोशिश करेंगे। 209 लोगों पर हुई रिसर्चशोधकर्ताओं ने 209 लोगों पर रिसर्च...
कोरोनाकाल का पहला मामला:मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम का मामला, बुखार और डायरिया के बाद भर्ती कराया गया; ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं

कोरोनाकाल का पहला मामला:मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम का मामला, बुखार और डायरिया के बाद भर्ती कराया गया; ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं

लाइफस्टाइल, साइंस
कोरोना महामारी के बीच मिजोरम में 6 साल के बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) का पहला मामला सामने आया है। बच्चा हाल ही में परिवार के साथ दिल्ली से लौटा था। मिजोरम के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है, बच्चे का इलाज आइजोल के एक अस्पताल में चल रहा है। स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. पछाआउ लालमलस्वामा के मुताबिक, बच्चे में डायरिया और बुखार के लक्षण मिलने पर 6 जून को उसे सिनॉड हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। स्टेट नोडल ऑफिसर का कहना है, जांच के दौरान बच्चे में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं। यह एक संदिग्ध मामला है।बच्चे और उसके परिवार के लोगों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है। लक्षणों में कमी और रिकवरी तेज हुईबच्चे का इलाज करने वाले पीडियाट्रिक कन्सल्टेंट डॉ. जॉन मलस्वमा का कहना है, बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है। उसने चलना-फिरना और खाना-पीना शुरू कर दिया ह...
ब्रिटिश वैज्ञानिकों का ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन:कमरे में संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा कोविड अलार्म, RT-PCR और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीक

ब्रिटिश वैज्ञानिकों का ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन:कमरे में संक्रमित मौजूद है तो 15 मिनट में पता लगा लेगा कोविड अलार्म, RT-PCR और एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीक

लाइफस्टाइल, साइंस
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को एक डिवाइस बनाने में सफलता हासिल की है, जो महज 15 मिनट में ही कमरे में कोरोना संक्रमण का पता लगा लेता है। बड़े रूम में 30 मिनट लगते हैं। कोरोना संक्रमितों की जानकारी देने वाली यह डिवाइस आने वाले समय में विमानों के केबिन, क्लासरूम, केयर सेंटरों, घरों और ऑफिस में स्क्रीनिंग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसका नाम कोविड अलार्म रखा गया है। यह डिवाइस स्मोक अलार्म से थोड़ा बड़ा है। नतीजे 98% से 100% तक सटीकलंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (LSHTM) और डरहम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च के शुरुआती नतीजे उम्मीद जगाने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने टेस्टिंग के दौरान दिखाया है कि डिवाइस में नतीजों की सटीकता का स्तर 98-100 फीसदी तक है। यह कोरोना के RT-PCR और एंटीजन टेस्ट की तुलना में कहीं ज्यादा सटीकता से कोरोना संक्रमितों के बारे में जानकारी दे रहा है। ...
प्रोस्थेटिक लेग के साथ उड़ान भरेगा ‘मिया’:दुनिया में पहली बार किसी गिद्ध को मिले कृत्रिम पैर, सर्जरी के 6 हफ्ते के बाद चलना-फिरना शुरू किया; भारी शरीर के बावजूद भरी उड़ान

प्रोस्थेटिक लेग के साथ उड़ान भरेगा ‘मिया’:दुनिया में पहली बार किसी गिद्ध को मिले कृत्रिम पैर, सर्जरी के 6 हफ्ते के बाद चलना-फिरना शुरू किया; भारी शरीर के बावजूद भरी उड़ान

लाइफस्टाइल, साइंस
पहली बार एक गिद्ध को कृत्रिम पैर लगाए हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। मादा गिद्ध मिया का पैर बुरी तरह से डैमेज होने के बाद ऑस्ट्रिया के आउल एंड बर्ड ऑफ प्रे-सेंचुरी लाया गया था​​​। सेंचुरी में डॉक्टर्स की एक टीम ने उसे कृत्रिम पैर लगाया। डॉक्टर्स ने उसके लिए खास तरह का प्रोस्थेटिक लेग तैयार किया। अब वह दूसरे गिद्ध की तरह उड़ सकता है। पूरी तरह से रिकवर होने के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा। मिया की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की टीम। गिद्ध जैसे भारी पक्षी का पैर बनाना मुश्किलमेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के एक्सपर्ट्स ने मिया के लिए स्थायी कृत्रिम पैर तैयार किए। एक्सपर्ट्स का कहना है, छोटी चिड़िया में कृत्रिम पैर लगाना और उनका सर्वाइव करना आसान होता है क्योंकि ऐसे पक्षी हल्के होते हैं। गिद्ध के मामले यह आसान नहीं है। कृत्रिम पैर तैयार करते समय यह ध्यान रखना पड़ा कि गिद्ध अपने शरीर के ...
ब्रीथएनालाइजर का नया विकल्प ‘ईयरमफ’:वैज्ञानिकों ने बनाई कान में लगाने वाली डिवाइस, यह शरीर में अल्कोहल का पता लगाती है; सेंसर करते हैं अलर्ट

ब्रीथएनालाइजर का नया विकल्प ‘ईयरमफ’:वैज्ञानिकों ने बनाई कान में लगाने वाली डिवाइस, यह शरीर में अल्कोहल का पता लगाती है; सेंसर करते हैं अलर्ट

लाइफस्टाइल, साइंस
इंसान ने शराब पी रखी है या नहीं, जल्द ही इसकी जांच के लिए ब्रीथएनालाइजर की जरूरत नहीं होगी। जापानी वैज्ञानिकों ने इसकी जांच के लिए खास तरह की डिवाइस तैयार की है। इसे इयरमफ का नाम दिया गया जो वॉकमैन की तरह दिखता है। इसे कान पर लगाकर पता किया जा सकता है कि इंसान में शराब की मात्रा कितनी है। ऐसे काम करती है डिवाइस ईयरमफ को तैयार करने वाली जापान की टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, आमतौर पर मुंह से ब्रीथएनालाइजनर में हवा फूंककर अल्कोहल के लेवल का पता लगाया जाता है, लेकिन शरीर के कई हिस्सों से इसका पता लगाया जा सकता है।वैज्ञानिकों के मुताबिक, सांसों के अलावा शरीर की स्किन, कान और पसीने से भी एथेनॉल (अल्कोहल) गैस के रूप में निकलता है। इसी की मदद से शरीर में अल्कोहल का पता लगाया जा सकता है।हाथ-पैर की स्किन और पसीने के मुकाबले, कान के पास वाली स्किन से अधिक एथेन...
ब्रीथएनालाइजर का नया विकल्प ‘ईयरमफ’:वैज्ञानिकों ने बनाई कान में लगाने वाली डिवाइस, यह शरीर में अल्कोहल का पता लगाती है; सेंसर करते हैं अलर्ट

ब्रीथएनालाइजर का नया विकल्प ‘ईयरमफ’:वैज्ञानिकों ने बनाई कान में लगाने वाली डिवाइस, यह शरीर में अल्कोहल का पता लगाती है; सेंसर करते हैं अलर्ट

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इंसान ने शराब पी रखी है या नहीं, जल्द ही इसकी जांच के लिए ब्रीथएनालाइजर की जरूरत नहीं होगी। जापानी वैज्ञानिकों ने इसकी जांच के लिए खास तरह की डिवाइस तैयार की है। इसे इयरमफ का नाम दिया गया जो वॉकमैन की तरह दिखता है। इसे कान पर लगाकर पता किया जा सकता है कि इंसान में शराब की मात्रा कितनी है। ऐसे काम करती है डिवाइस ईयरमफ को तैयार करने वाली जापान की टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, आमतौर पर मुंह से ब्रीथएनालाइजनर में हवा फूंककर अल्कोहल के लेवल का पता लगाया जाता है, लेकिन शरीर के कई हिस्सों से इसका पता लगाया जा सकता है।वैज्ञानिकों के मुताबिक, सांसों के अलावा शरीर की स्किन, कान और पसीने से भी एथेनॉल (अल्कोहल) गैस के रूप में निकलता है। इसी की मदद से शरीर में अल्कोहल का पता लगाया जा सकता है।हाथ-पैर की स्किन और पसीने के मुकाबले, कान के पास वाली स्किन से अधिक एथेन...
डायबिटीज की दवा रोकेगी हार्ट अटैक:हाई ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवा ‘एमपैग्लीफ्लोजिन’ हार्ट के काम करने की क्षमता बढ़ाती है और अटैक का खतरा घटता है

डायबिटीज की दवा रोकेगी हार्ट अटैक:हाई ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवा ‘एमपैग्लीफ्लोजिन’ हार्ट के काम करने की क्षमता बढ़ाती है और अटैक का खतरा घटता है

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अब डायबिटीज की दवा से हार्ट फैल के मामले भी कंट्रोल किए जा सकेंगे। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की हालिया स्टडी के मुताबिक, हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाली दवा 'एमपैग्लीफ्लोजिन' से मरीजों का हार्ट फेल होने से बचाया जा सकता है। यह दवा लेने के मात्र तीन महीने के अंदर हार्ट के काम करने क्षमता में इजाफा होता है और हार्ट फेल होने का खतरा घट जाता है। वजन घटा और ब्लड प्रेशर में सुधार हुआरिसर्च कहती है, जो मरीज ट्रायल में शामिल हुए उनका वजन भी कम हुआ और ब्लड प्रेशर में भी सुधार हुआ। शोधकर्ताओं का कहना है, टाइप-2 डायबिटीज तीन गुना तक हृदय रोगों का खतरा बढ़ाती है। वहीं, एक तिहाई लोगों की हृदय रोगों से मौत हो जाती है। ऐसे काम करती है दवाशोधकर्ताओं का कहना है, दवा 'एमपैग्लीफ्लोजिन' शरीर में पहुंचकर अतिरिक्त शुगर को यूरिन के रास्ते बाहर निकालने का काम करती है। यह शुगर को ब्लड में पहुंचने से रोकती ह...
अटॉप्सी रिपोर्ट में खुलासा:कोरोना से मरने वाले 60% मरीजों की मांसपेशियों में सूजन, यह हार्ट और किडनी में होने वाली सूजन से काफी अलग; रिसर्च में दावा

अटॉप्सी रिपोर्ट में खुलासा:कोरोना से मरने वाले 60% मरीजों की मांसपेशियों में सूजन, यह हार्ट और किडनी में होने वाली सूजन से काफी अलग; रिसर्च में दावा

लाइफस्टाइल, साइंस
कोरोना से मरने वाले 60 फीसदी से अधिक मरीजों की मांसपेशियों में सूजन रहती है। यह बात कोरोना के 43 मरीजों की अटॉप्सी रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन ग्रुप में शामिल 10 में से 6 मरीज में कमजोरी और मांसपेशियों में सूजन थी। रिसर्च करने वाली जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी के मुताबिक, कोरोना के मरीजों में जो सूजन देखी गई है वो आमतौर पर हार्ट और किडनी में होने वाली सूजन से अलग थी। संक्रमित में मसल इंजरी खतरा बढ़ाती हैशोधकर्ताओं के मुताबिक, सूजन की गंभीरता देखकर पता चलता है कि क्यों कोरोना के मरीजों में मसल इंजरी होने के बाद मौत हो जाती है। जो सर्वाइव कर भी जाते हैं तो उन्हें लम्बे समय तक कमजोरी का सामना करना पड़ता है।इससे पहले सामने आई एक रिसर्च में सामने आया था कि मसल इंजरी से जूझने वाले कोरोना के मरीज की हालत नाजुक होने या मौत का खतरा ज्यादा है। दो तिहाई मरीजों में कमजोरी और द...
इजरायल के वैज्ञानिकों को मिली कामयाबी:पहली बार लैब में तैयार हुआ ‘ब्रेस्ट मिल्क’, दावा; इसमें वो सभी पोषक तत्व जो मां के दूध में होते हैं; अगले 3 साल में होगा उपलब्ध

इजरायल के वैज्ञानिकों को मिली कामयाबी:पहली बार लैब में तैयार हुआ ‘ब्रेस्ट मिल्क’, दावा; इसमें वो सभी पोषक तत्व जो मां के दूध में होते हैं; अगले 3 साल में होगा उपलब्ध

लाइफस्टाइल, साइंस
दुनिया में पहली बार लैब में नवजात के लिए ब्रेस्ट मिल्क को तैयार किया है। इजरायल के स्टार्टअप 'बायोमिल्क' ने महिलाओं की स्तन कोशिकाओं से दूध तो बनाने में कामयाबी पाई है। कंपनी का दावा है कि इस दूध में ज्यादातर वो सभी पोषक तत्व हैं जो मां के दूध में पाए जाते हैं। दावा- मां के दूध जैसा मिल्ककंपनी की चीफ साइंस ऑफिसर और को-फाउंडर डॉ. लीला स्ट्रिकलैंड का कहना है, हमारे प्रोडक्ट में पोषक तत्वों की मात्रा किसी भी दूसरे प्रोडक्ट से ज्यादा है। ये मां के दूध से काफी मिलता-जुलता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैटी एसिड्स और बायोएक्टिव लिपिड्स जैसे सभी पोषक तत्व हैं जो मां के दूध में मौजूद होते हैं। सिर्फ एंटीबॉडी का अंतर हैडॉ. लीला का कहना है, लैब में तैयार ब्रेस्ट मिल्क और मां के दूध में एक ही अंतर है वो है एंटीबॉडी। मां के दूध से बच्चे में रोगों से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनती हैं, जबकि इस...